TDS vs TCS क्या है अंतर? आसान भाषा में समझें Tax Deduction at Source और Tax Collected at Source

TDS और TCS दोनों में अंतर आपको समझना बहुत ही जरूरी है नहीं तो आप टैक्स के विषय में थोड़ा पीछे रह जाएंगे आज हम टीडीएस और टीसीएस के बारे में पूरा विस्तार से बात करेंगे।

टीडीएस और टीसीएस का फुल फॉर्म से हम शुरुआत करते है, TDS का मतलब (Tax Deducted at Source) होता हैं और TCS का मतलब (Tax Collected at Source) होता हैं।

यह दोनों ही भारत में आयकर विभाग द्वारा कर मतलब टैक्स वसूलने का एक तरीका हैं, इन दोनों से सरकार टैक्स के चोरी को रोकने में मदद मिल रहा है और इससे सरकार को एडवांस टैक्स मिलने में सहायता मिलती है।

TDS (Tax Deducted at Source) – स्रोत पर कर कटौती

टीडीएस का हिन्दी मतलब है स्रोत पर कर कटौती, इसका सीधा सा मतलब है कि जब आपके पास कोई पैसा आता है, तो जो आपको उस पैसे को दे रहा है वह व्यक्ति या संस्था (जिसे डिडक्टर कहते हैं) वह अगर आपके पैसे में टैक्स बनता है तो उसी पैसे से ही आपका टैक्स का हिस्सा काटकर आपको बचा हुआ पैसा देता है।

और उस काटी गई अमाउंट को सरकार के पास जमा कर देता आपके पैन कार्ड के साथ, क्योंकि सभी का पैन कार्ड के नंबर अलग अलग होते है, इसीलिए आसानी से पता चलता है पैसा किसके नाम से जमा हुआ है।

टीडीएस में डिडक्टर आपका पैसा सैलरी, बैंक के ब्याज पर, किराया देने वाला, प्रोफेशनल फीस देने वाला, कमीशन, ब्रोकरेज, ठेके का भुगतान, लॉटरी या गेमिंग से जीती गई पैसे, आदि ऐसे सभी जगह से टीडीएस काटा जाता है।

टीडीएस का असली उद्देश्य यह है कि सरकार को पूरे साल टैक्स मिलता है और लोग टैक्स चोरी नहीं कर सके, यह एक तरह से आपकी इनकम का एडवांस टैक्स होता है।

टीडीएस को एक छोटा उदाहरण से समझे: अगर आपको किसी कंपनी से हर महीने 1 लाख सैलरी मिल रही है, तो 12 महीने में 12 लाख होता है, और आपके पूरे साल के इनकम पर मान लीजिए 1 लाख 20 हजार टैक्स बन रहा है, तो आपके सैलरी से हर मंथ 10 हजार का टीडीएस काटा जाएगा और 90 हजार आपको बैंक अकाउंट में सैलरी जमा होगा।
 
टीडीएस काटने के बाद आपको सभी डिटेल्स फॉर्म 26AS में दिखेगा और आप आईटीआर फाइल करने से आपको इनकम टैक्स क्रेडिट मिलता है, अगर आपका टैक्स ज्यादा काटा गया हो, या आप टैक्स के दायरे में नहीं आते फिर भी आपका टैक्स जमा हुआ है।

हमने टीडीएस के बारे में इस पोस्ट में पूरा डिटेल्स में बात किया है इसलिए आप इस पोस्ट को पढ़ें:- TDS क्या है? जानें क्यों कटता है आपका पैसा और कैसे पाएं रिफंड, फॉर्म 26AS

TCS (Tax Collected at Source) – स्रोत पर कर संग्रह

टीसीएस का हिन्दी मतलब है स्रोत पर कर संग्रह, इसका मतलब है कि जब आप कुछ विशेष वस्तुएं खरीदते हैं, तो विक्रेता (जो वस्तु बेच रहा है) उस वस्तु की कीमत के साथ एक अतिरिक्त टैक्स के राशि के रूप में आपसे एकत्र करता है और उसे सरकार के पास जमा कर देता है।

ठीक वैसे ही जैसे हमने ऊपर में टीडीएस पर बात किया था, टीसीएस से बस कुछ विशेष वस्तुओं की बिक्री के समय पर अगर टैक्स बन रहा है उस समय पर ही टैक्स एकत्र करते है।

टीसीएस में लकड़ी (टिंबर), स्क्रैप, खनिज, तेंदू पत्ता, मोटर वाहन (₹10 लाख से अधिक मूल्य के), कुछ विदेशी रेमिटेंस (लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत), विदेशी टूर पैकेज, आदि जैसे सेल करते समय टीसीएस काटता है।

टीसीएस का भी असली उद्देश्य कुछ विशेष वस्तुओं जो हमने ऊपर आपको बताया और लेनदेन से जुड़े जगह में टैक्स को उनके जगह से ही एकत्र करना है, जिससे ज्यादा टैक्स मिल सके।

टीसीएस को भी एक उदाहरण से समझे: अगर आप ₹10 लाख से ऊपर के कार को खरीदते हैं, तो कार डीलर (विक्रेता Seller या Collector) आपके कार के कीमत के साथ टीसीएस भी आपसे लेगा और उसे सरकार के पास जमा करेगा।

और खरीदार में आपका लाभ आपका काटा गया टीसीएस भी फॉर्म 26AS में दिखेगा और ITR से आपको क्रेडिट भी मिल जाएगा।

TCS के बारे में भी हमने अलग से पूरी जानकारी के साथ एक पोस्ट लिखा है इसको भी पढ़ें:- TCS क्या है? जानें TCS के प्रकार, दरें और नियम पूरी जानकारी (Tax Collected at Source)

TDS और TCS के बीच मुख्य अंतर

TDS vs TCS दोनों के बीच मुख्य अंतर आपको समझने के लिए मैने नीचे के टेबल पर सब कुछ एड किया है:

विशेषता/पैरामीटर.TDS (Tax Deducted at Source)TCS (Tax Collected at Source)
अर्थआय के स्रोत पर काटा जाता करबिक्री के स्रोत पर एकत्र किया जाता कर
कौन काटता/एकत्र करता है?भुगतान करने वाला (Payer/Detector)विक्रेता/इकट्ठा करने वाला (Seller/Collector)
किससे काटा/एकत्र किया जाता है?आय प्राप्त करने वाले व्यक्ति (Deductee) से वस्तु खरीदने वाले व्यक्ति (Buyer) से
लेनदेन की प्रकृतिभुगतान (Payment)बिक्री (Sale)
लागू होता हैआय पर (जैसे सैलरी, किराया, ब्याज, कमीशन, प्रोफेशनल फीस आदि)कुछ विशिष्ट वस्तुओं की बिक्री पर (जैसे स्क्रैप, लकड़ी, वाहन, आदि)
लक्ष्यआय पर कर एकत्र करना, कर चोरी रोकनाकुछ विशेष लेनदेन/वस्तुओं पर कर एकत्र करना
उदाहरणFD पर ब्याज से कटा टैक्स/कंपनी द्वारा कर्मचारी की सैलरी से TDS काटनाकार डीलर द्वारा ₹10 लाख से ऊपर की कार पर TCS इकट्ठा करना/स्क्रैप की बिक्री पर
प्रमाण पत्रफॉर्म 16 (सैलरी के लिए), फॉर्म 16A (अन्य के लिए)फॉर्म 27D
धाराएंआयकर अधिनियम की धारा 192 से 194S तक विभिन्न धाराएंआयकर अधिनियम की धारा 206C के तहत विभिन्न धाराएं

TDS vs TCS  क्यों हैं ये महत्वपूर्ण?

टीडीएस और टीसीएस यह दोनों टैक्स के अनुपालन में मदद करती है जैसे टैक्स चोरी को कम करने और कानून बढ़ाने में मदद करते हैं।

सरकार का राजस्व संग्रह करने में आसानी होती है, इससे सरकार को एडवांस टैक्स के रूप में पूरा साल मिलता रहता है।

इससे लेनदेन में पारदर्शिता आती है क्योंकि एक जगह से टैक्स काटा या इकट्ठा किया जा रहा है और इसकी सभी सही जानकारी सरकार के पास आती है।

इससे करदाताओं के लिए कुछ सुविधा हुआ है जैसे आईटीआर फाइल करते समय इन काटे गए या इकट्ठा किए गए टैक्स का क्रेडिट मिलता है, इससे उनकी अंतिम टैक्स देना कम हो जाता है।

निष्कर्ष: टैक्स सिस्टम के महत्वपूर्ण स्तंभ और सलाह

सारांश में कहूं तो TDS और TCS दोनों ही भारतीय टैक्स प्रणाली के दो अलग तरीके से टैक्स को जमा कराने का एक तरीका निकाला है सरकार ने।

ये दोनों टीडीएस और टीसीएस में टैक्स का पैसा किस जगह से आ रहा है उसे याद रखने वाला नाम है, लेकिन दोनों में ही सरकार को आय के स्रोत पर ही टैक्स इकट्ठा करने में मदद मिलता हैं।

इस दोनों से टैक्स के संग्रह आसान, अधिक कुशल और प्रभावी बनाया है सरकार ने, आप जब अपनी सालाना आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करेंगे तब आप पर काटे गए TDS और एकत्र किए गए TCS दोनों के लिए क्रेडिट (ITC) का दावा कर सकते हैं।

हमेशा याद रखें कि टैक्स नियम पर हर साल कुछ ना कुछ बदलाव होते रहते है इसीलिए हमेशा नवीनतम नियम की और ध्यान रखे, और आपको अगर टैक्स के विषय पर कोई भी परेशानी हो तो हमेशा एक अच्छे टैक्स सलाहकार CA से संपर्क करें वह आपको सही सलाह देंगे।

में उम्मीद करता हू कि टीडीएस और टीसीएस
क्या होता है? इसके बारे में आपने समझ लिया है, अपने दोस्त और सोशल मीडिया पर इस पोस्ट को शेयर कर उनको भी जानकारी लेने का मौका दे।

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