क्या सरकारी नौकरी वालों को भी देना पड़ता है टैक्स? जानें सैलरी पर इनकम टैक्स के नियम और छूटें

आप में से बहुत सारी लोगों सरकारी नौकरी करते है या करने की आगे इच्छा रखते है, ऐसे में आपके मन में यह सवाल आता होगा कि सरकारी नौकरी करने वाले लोगों पर भी टैक्स लगता है, ऐसे में आप सब सरकारी कर्मचारियों के लिए टैक्स नियमों में अंतर को समझना बहुत जरूरी है।

सरकारी वेतन पर टैक्स का सीधा सा जवाब है हाँ सरकारी नौकरी वाले जिनकी सैलरी ज्यादा है उनको टैक्स देना पड़ता है, आपके मन में भी यह आया होगा कि सरकारी नौकरी में शायद टैक्स नहीं लगता या कम लगता है, आज इस पोस्ट से आपके सभी भ्रम दूर हो जाएगा।

असल में सरकारी नौकरी करने वाले व्यक्तियों पर भी टैक्स तब लगता है जब उनकी सैलरी सरकार के बनाए सीमा से ज़्यादा हो जाती है, तब उन कर्मचारियों पर आयकर (Income Tax) के नियम लागू होते हैं और उन्हें भी टैक्स देना पड़ता है, हम बात करेंगे सैलरी पर इनकम टैक्स के नियम और छूट के बारे में ताकि आपके टैक्स बच जाए, इसलिए आप इस पोस्ट को लास्ट तक पढ़े।

सरकारी नौकरी पर टैक्स: क्या है सच्चाई?

इनकम टैक्स कानून (Income Tax Act, 1961) के अंदर सभी वेतनभोगी व्यक्तियों टैक्स पर समान रूप से लगता है, चाहे वे सरकारी कर्मचारी हों या किसी कंपनी में काम कर रहा हो, आप इस गलतफहमी से दूर रहे कि सरकारी नौकरी करने से टैक्स नहीं देना पड़ता।

सरकारी नौकरी करने वाले व्यक्तियों को भी टैक्स देना होता है, जिनकी आय आयकर सीमा के छूट से ज्यादा होता है, जो हमने आपको ऊपर भी बताया था चाहे आप कर्मचारियों हो या सरकारी नौकरी वाला दोनों ही तरफ से सामान टैक्स देना पड़ता है।

सरकारी नौकरी वालों की सैलरी पर इनकम टैक्स कैसे लगता है?

अब इस बात को आपको ध्यान से समझना चाहिए कि सरकारी नौकरी करने वालों की सैलरी पर इनकम टैक्स कैसे लगता है? अब आप इस सवाल का जवाब नीचे से समझे:

आयकर स्लैब: पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था दोनों में सरकारी कर्मचारियों पर भी वही आयकर स्लैब दर लगता हैं जो दूसरे कर्मचारियों पर लागू होता हैं।

सैलरी के घटक (Components): यह भी जान लीजिए आपके सैलरी में से कौन से पैसे टैक्स में आते हैं जैसे बेसिक पे, महंगाई भत्ता DA, हाउस रेंट अलाउंस HRA (कुछ शर्तों के साथ), बोनस, और अन्य भत्ते।

TDS (Tax Deducted at Source): आपके सरकारी विभाग ही आपके सैलरी से टीडीएस काटता है और सरकार को जमा करता है, ठीक वैसे ही जैसे प्राइवेट कंपनियां में होती हैं।

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सरकारी नौकरी वालों के लिए उपलब्ध प्रमुख टैक्स छूटें और कटौतियां

सभी सैलरी मिलने वाले लोगों के लिए सरकार कुछ छूट दी हैं, अगर कोई काम आप नीचे के दिए हुए ऑप्शन में से करते है तो आपका टैक्स कम हो जाएगा:

मानक कटौती (Standard Deduction): ₹50,000 की मानक कटौती का लाभ पुरानी व्यवस्था में और नए टैक्स व्यवस्था में ₹75,000 का छूट मिलता है।

धारा 80C: (पुरानी व्यवस्था में) ₹1.5 लाख तक की कटौती का लाभ आपको मिलती है, जिसमें GPF (General Provident Fund), PPF, ELSS, जीवन बीमा, होम लोन का मूलधन आदि शामिल हैं, सरकारी कर्मचारियों के लिए GPF एक अच्छा फायदा है।

धारा 80CCD (1B): (पुरानी व्यवस्था में) NPS (National Pension System) में अगर आप ₹50,000 का योगदान करते है, तो धारा 80C मिलाकर आप ₹2 लाख तक छूट का दावा कर सकते है।

धारा 80D: (पुरानी व्यवस्था में) स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कटौती मिलती है।

धारा 24(b): (पुरानी व्यवस्था में) होम लोन के ब्याज पर कटौती मिलती है।

HRA छूट: (पुरानी व्यवस्था में) यदि किराए के मकान में रहते हैं और HRA मिलता है।

प्रोफेशनल टैक्स: यदि आपके राज्य में लागू हो, तो इसकी कटौती का फायदा आप के सकते है।

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नई टैक्स व्यवस्था बनाम पुरानी टैक्स व्यवस्था: सरकारी कर्मचारियों के लिए कौन सा सही है?

आपको संक्षेप में कहूं तो पुरानी टैक्स व्यवस्था में ज्यादा छूट मिलती है और नए टैक्स व्यवस्था बहुत ही सरल और जो लोग ज्यादा इन्वेस्ट नहीं करते उनके लिए सही है, एक सरकारी कर्मचारियों के रूप में आप भी इन दोनों में से किसी एक को चुन सकते है।

में फिर भी आपको समझाने के लिए नीचे दूं पॉइंट दिया हूं:

  1. पुरानी टैक्स व्यवस्था: यदि आप GPF, NPS, होम लोन, हेल्थ इंश्योरेंस आदि में ज्यादा निवेश करते है तो यह आपके लिए सही है।
  2. नई टैक्स व्यवस्था: यदि आप निवेश कम करते है और कम टैक्स देना चाहते है, और नियम आपको सरल चाहिए तो आपके लिए यह सही है।

दोनों टैक्स व्यवस्था में से आप अपनी व्यक्तिगत वित्तीय समय के हिसाब से गणना करके चुनाव कीजिए तो अच्छा रहेगा, और एक बात अगर आप अगर पुराने टैक्स व्यवस्था चुनते है तो आपको सभी डॉक्यूमेंट को संभाल कर रखना पड़ेगा।

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सरकारी कर्मचारियों के लिए ITR फाइलिंग और TDS सर्टिफिकेट

सरकारी कर्मचारियों को भी साल में एक बार अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना होता है, यह हर एक करता हैं जिनका सैलरी टैक्स के अंदर आता है।

फॉर्म 16: आपके सरकारी विभाग अगर आपका टीडीएस काटता है तो आपको फॉर्म 16 को देखना जरूरी है, इसमें आपको सैलरी और टीडीएस के पूरी जानकारी होती है।

फॉर्म 26AS: आपके पैन कार्ड के नंबर से काटे गए सभी टीडीएस को फॉर्म 26AS में ऑनलाइन देख सकते हैं।

आप आईटीआर फाइल करने से पहले फॉर्म 16 और 26AS दोनों मिलकर देखे कि दोनों मिल रहा है नहीं।

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निष्कर्ष: सरकारी वेतन पर टैक्स के बारे में

किसी भी सरकारी नौकरी में सुविधा और स्थिरता ज्यादा होती है, लेकिन टैक्स के मामले में प्राइवेट कंपनी और सरकारी नौकरी में टैक्स के नियम समान ही होते हैं।

ऐसे सही जानकारी और टैक्स के अच्छी प्लानिंग कर आप अपनी टैक्स को कानूनी नियम से कम कर सकते हैं, यह बात आपने शायद समझ लिया है।

हमेशा याद रखें कि टैक्स नियम पर हर साल कुछ ना कुछ बदलाव होते रहते हैं, इसीलिए हमेशा नवीनतम नियम की ओर ध्यान रखें, और आपको अगर टैक्स के विषय पर कोई भी परेशानी हो तो हमेशा एक अच्छे टैक्स सलाहकार (CA) से संपर्क करें, वह आपको सही सलाह देंगे।

में उम्मीद करता हू कि क्या सरकारी नौकरी वालों को भी देना पड़ता है? इसके सभी बात को आपने समझ लिया है, अपने दोस्त और सोशल मीडिया पर इस पोस्ट को शेयर कर उनको भी जानकारी लेने का मौका दे।

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