पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था: कौन सी चुनें और कौन सी आपके लिए बेस्ट है? जानें पूरा गणित

क्या अभी भी हर एक लोगों को पुराने टैक्स व्यवस्था और नए टैक्स व्यवस्था चुनने का मौका मिलता है यह जानने का हर एक का अधिकार हैं जिससे आप अपने टैक्स देनदारी को बेहतर ढंग से पेश कर सकते है।

भारत में अभी भी पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax Regime) और नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime) यह दूं को आप चुन सकते है अपने हिसाब से, तो आप इसे कैस चुन सकते है और आपको कौन सी व्यवस्था चुननी चाहिए ताकि आप अपनी टैक्स देनदारी को कम कर सकें।

यह सब सवाल का हम विस्तार से बात करेंगे और इनमें आप सभी वेतनभोगी लोग, फ्रीलांसर, छोटे व्यवसायी, और कोई भी भारतीय नागरिक जो अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करता है, और अपनी टैक्स प्लानिंग को बेहतर बनाना चाहता है इन सभी के लिए यह पोस्ट काम आएगी।

पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था क्या हैं? (छोटा सा परिचय)

भारत में अभी भी आप नए और पुराने टैक्स व्यवस्था दोनों में से किसी एक टैक्स व्यवस्था अपने हिसाब से आप चुन सकते है, पुरानी और नई टैक्स नियम में टैक्स के स्लैब और दरें अलग अलग हैं।

आपको पुरानी टैक्स व्यवस्था में बहुत सारी कटौती और छूट की ज्यादा फायदा मिलते है, साथ ही नई टैक्स व्यवस्था में टैक्स की दरें कम हैं लेकिन आपको कुछ सीमित कटौती और छूट की फायदा मिलता है।

हमारे पुरानी टैक्स व्यवस्था का लक्ष्य निवेश को ज्यादा बढ़ावा देना था, लेकिन नई टैक्स व्यवस्था का ज्यादा लक्ष्य टैक्स नियम को सरल बनाना और कम टैक्स के दरें को लाना था कम कटौतियों के।

क्या आपको अभी भी दोनों में से किसी एक को चुनने का मौका मिलता है?

सीधा जवाब है हाँ बिल्कुल, अभी भी अपने हिसाब से हर एक व्यक्ति को पुराने टैक्स व्यवस्था और नए टैक्स व्यवस्था में से किसी एक को चुनने का मौका मिलता है, यह सुविधा वित्तीय वर्ष 2023 में नई टैक्स व्यवस्था की शुरुआत के बाद से उपलब्ध कराया गया है और अभी भी चल रहा है।

नई व्यवस्था अब डिफ़ॉल्ट कर दी गई है, बजट 2023 के बाद नई व्यवस्था अब सबके लिए डिफ़ॉल्ट टैक्स व्यवस्था कर दी गई है, कहने का मतलब है कि अगर आप आईटीआर फाइल करते समय कोई टैक्स व्यवस्था का चुनाव नहीं करते हैं, तो आयकर विभाग आपकी गणना नई व्यवस्था के हिसाब से करेगी।

टैक्स व्यवस्था चुनने की प्रक्रिया:

वेतनभोगी (Salaried) वाले लोगों के लिए: आप हर वित्तीय वर्ष की शुरुआत में आपके कंपनी जो आपको सैलरी देते है, उनको बता सकते है कि आपको नया या पुराना टैक्स नियम के हिसाब से टीडीएस काटना है, लेकिन अंतिम में अपना आईटीआर फाइल करने के समय आप बदल सकते है चाहे आपने कंपनी को कुछ और बोला था।

व्यवसाय या पेशा आय वाले (Business or Professional Income) व्यक्ति के लिए: इनके लिए इस नियम में थोड़ा चेंज है उनके लिए पुरानी टैक्स व्यवस्था चुनने के लिए फॉर्म 10-IEA फाइल करना होता है डेट से पहले, और अगर कोई पुराने टैक्स व्यवस्था को चुनता है तो वह अपने पूरे लाइफ में टैक्स व्यवस्था चेंज करने के लिए एक बार की ही मौका मिलता है।

मतलब ये कि एक बार नए से पुराने में चेंज करते हैं, तो वापस नए नियम में जाने के लिए अपने जीवनकाल में केवल एक मौका मिलता है, इसीलिए आप दोनों नए और पुराने टैक्स व्यवस्था को अच्छे से देख ले और जिसमें आपको कम टैक्स देना पड़ रहा है उसी में स्थित रहे।

अन्य आय वाले (Other Income) लोगों के लिए: आप हर साल अपना आईटीआर फाइल करते समय आसानी से दोनों व्यवस्थाओं के बीच में से किसी एक में चेंज कर सकते हैं, यह नियम बिना बिजनेस या प्रोफेशन आय वाले व्यक्ति के लिए है।

उनके लिया फॉर्म 10-IEA फाइल करने की कोई ज़रूरत नहीं होती, ऐसे आप अपने हिसाब से चुनाव करे और देखे की कौन सा टैक्स व्यवस्था पर आप पर टैक्स का बोझ कम पड़ रहा है आप उसे टैक्स व्यवस्था को चुने।

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पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax Regime) की मुख्य बातें

पुरानी टैक्स व्यवस्था के टैक्स स्लैब: FY 2024-25 (AY 2025-26) के लिए लागू होने वाली स्लैब दरें अलग अलग है इसमें 60 वर्ष से कम, सीनियर सिटीजन और सुपर सीनियर सिटीजन के लिए अलग अलग टैक्स के नियम सरकार ने बनाया है।

पुरानी टैक्स व्यवस्था में आपको बहुत सारी कटौतियां और छूटें (Deductions & Exemptions) मिलती है, जो मोटा मोटा आप नीचे से समझे धारा के साथ:

  1. धारा 80C: में आपको ₹1.5 लाख तक की LIC, PPF, ELSS, होम लोन प्रिंसिपल, बच्चों की ट्यूशन फीस आदि में छूट मिलती है।
  2. धारा 80D: में आपको ₹25,000 से ₹50,000 हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम लेने पर छूट मिलती है।
  3. धारा 24(b): में आपको होम लोन के ब्याज पर ₹2 लाख तक की छूट मिलती है।
  4. धारा 80G: में आपको दान करने पर छूट मिलती है।
  5. HRA (House Rent Allowance) छूट: में आप यदि किराए के मकान में रहते हैं तो आपको छूट मिलती है।
  6. लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA) छूट: में आपको नियमों के अनुसार छूट मिलती है।
  7. स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction): में आपको ₹50,000 रुपए तक वेतनभोगि लोगो के लिए छूट मिलती है।

पुरानी टैक्स व्यवस्था के मुख्य फायदा: आप बड़ी मात्रा में टैक्स बचा सकते हैं अगर आप ज्यादा निवेश और खर्चा करते हैं।

पुरानी टैक्स व्यवस्था के मुख्य नुकसान: इसमें आपको हिसाब करने में कठिन लग सकता है, क्योंकि इसमें आपको बहुत सारी डॉक्यूमेंट और ज्यादा कैलकुलेशन करने की ज़रूरत होती है।

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नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime) की मुख्य बातें

टैक्स स्लैब: FY 2024-25 और AY 2025-26 में आपके लिए टैक्स के स्लैब दरें कम लागू होता है, यह भी 60 वर्ष से कम, सीनियर सिटीजन और सुपर सीनियर सिटीजन के लिए अलग अलग टैक्स के नियम सरकार ने बनाया है।

नई टैक्स व्यवस्था के कुछ प्रमुख कटौतियां और छूटें (Limited Deductions & Exemptions) यह भी आप मोटा मोटा नीचे से समझे:

  1. सेक्शन 87A रिबेट: में आपको ₹12,75,000  लाख तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता FY 2025-26 के नियम के अनुसार।
  2. अन्य कोई बड़ी कटौती नहीं: जैसे पुरानी टैक्स व्यवस्था में धारा 80C, 80D, HRA, LTA आदि का लाभ मिलता है लेकिन नई टैक्स व्यवस्था में इनका कोई लाभ नहीं मिलता।
  3. वेतनभोगि व्यक्तियों के लिए: इसमें केवल ₹75,000 की स्टैंडर्ड डिडक्शन वेतनभोगि व्यक्तियों को मिलती है।

नई टैक्स व्यवस्था की मुख्य फायदा: इसमें आपको कम टैक्स दरें मिलती है इसकी प्रक्रिया बहुत ही सरल है और कागजी हिसाब को कम रखना पड़ता है।

नई टैक्स व्यवस्था की मुख्य नुकसान: इसमें आप अगर बहुत ज़्यादा निवेश और कटौतियां करते हैं इस मामले पर आपको ज़्यादा टैक्स देना पड़ सकता है।

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कौन सी टैक्स व्यवस्था आपके लिए बेस्ट है? (तुलना और कैलकुलेशन)

कौन सी टैक्स व्यवस्था आपके लिए बेस्ट है यह निर्णय लेने का अधिकार पूरी तरह से आपकी आय, निवेश, खर्चे और टैक्स देनदारी पर निर्भर करता है, आप पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था दोनों के अंदर आपको किसमें टैक्स देना कम पड़ रहा है वह आप चुन सकते है जो हमने ऊपर बात किया था फिर भी थोड़ा थोड़ा आपको बता देता हूं।

आपको कब पुरानी व्यवस्था चुनना है? यदि आप धारा 80C, 80D, होम लोन ब्याज, HRA जैसी सभी कटौतियों का भरपूर लाभ उठा रहे हैं और अगर आपकी कुल कटौतियां काफी अधिक हैं, तो यह आपकी टैक्स योग्य आय को बहुत कम करती हैं ऐसे पर आपके लिए पुरानी टैक्स व्यवस्था सही होगा।

आपको कब नई व्यवस्था चुनना है? अगर आप बहुत कम या कोई टैक्स बचत जैसे निवेश नहीं करते हैं और आपको टैक्स के हिसाब सरल चाहिए, और आपकी इनकम ₹7 लाख के आस पास या उससे कम है तो आप नए टैक्स व्यवस्था को चुन सकते है क्योंकि इसमें आपको कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा और इसमें टैक्स फाइलिंग प्रक्रिया सरल हैं।

हर एक चीज में आपका कैलकुलेशन का बहुत बड़ा महत्व है: दोनों टैक्स व्यवस्थाओं के तहत अपनी अनुमानित टैक्स देनदारी की गणना करना आपके लिए बहुत जरूरी है, इससे आप बहुत सारा टैक्स को बचा सकते है।

एक छोटा बात से आप अपना टैक्स देने का उदाहरण को समझ पाएंगे: एक व्यक्ति जो ज्यादा निवेश करता है उनके लिए पुरानी टैक्स व्यवस्था, और एक व्यक्ति जो निवेश नहीं करता उनके लिए नए टैक्स व्यवस्था सही होगा, दोनों मामले में और दोनों व्यवस्थाओं में उनकी टैक्स का पैसा अलग अलग होगी।

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FY 2024-25 (AY 2025-26) में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव हुए है

हमारे नई टैक्स व्यवस्था को और ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए इसमें कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं जो आपको थोड़ा तो पता चल गया होगा फिर भी थोड़ा सा और जानकारी आपके लिए फायदेमंद होगा।

नए में छूट सीमा बढ़ गई है, नई टैक्स व्यवस्था में मूल छूट की सीमा जो ₹2.5 लाख था इससे बढ़ाकर अब ₹3 लाख तक कर दिया गया है।

अब के बिल में रिबेट को बढ़ा दिया गया है जो धारा 87A के तहत मिलने वाली रिबेट को बढ़ा दिया गया है, अब 12 लाख 75 हजार तक की इनकम पर आपको कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है, और FY 2025-26 में मानक कटौती में यह ₹75 हजार की है।

मानक कटौती (Standard Deduction): नई व्यवस्था में भी वेतनभोगि लोगों को ₹50,000 की मानक कटौती का लाभ मिलता था जो FY 2025-26 के नए नियम में यह ₹75,000 तक हो गई है।

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निष्कर्ष: समझदारी से टैक्स व्यवस्था को चुनें और टैक्स बचाएं

दोनों टैक्स व्यवस्थाओं का अपना अलग अलग मतलब है और वे अलग अलग वित्तीय स्थितियों के लिए सही हैं, जो आपको अच्छे से अगर नहीं समझने आया तो आपको टैक्स ज्यादा देना पड़ सकता है।

जब आपको अभी भी दोनों टैक्स व्यवस्थाओं में से किसी एक को चुनने का मौका मिल रहा है, इस मौका पर आईटीआर फाइल करने से पहले दोनों टैक्स व्यवस्थाओं के अंदर अपनी टैक्स देनदारी की अच्छे से हिसाब करें और देखें कि आपके लिए कौन सी व्यवस्था अधिक फायदा देगा।

इसीलिए आप हर साल अपनी स्थिति के हिसाब से इनकम का हिसाब करे और सबसे फायदेमंद विकल्प को चुनें, और अगर आपको ज्यादा संदेह होती है या आपको यह टैक्स का हिसाब समझमें नहीं आता तो आप एक योग्य टैक्स सलाहकार (CA) से परामर्श ले सकते है वह आपको सही रास्ता दिखाएंगे।

और क्या आपको हमारा यह पोस्ट पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था पढ़ने के बाद थोड़ी सी जानकारी मिली है, ऐसे जानकारी आपके दोस्तों के पास भी होना चाहिए ना, इसलिए इस पोस्ट को अपने दोस्तों के पास और सोशल मीडिया पर शेयर करके उनको भी जानकारी लेने का मौका दें।

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