क्या मकान मालिक को किराए पर GST देना पड़ता है? जानें नियम, छूट और पूरी जानकारी

​जब भी कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति किराए पर देता है या कोई व्यापार शुरू करने के लिए जगह किराए पर लेता है, तो उसके मन में एक सवाल आता ही होगा कि क्या किराए पर GST लगता है? यह भ्रम ज्यादा लोगों को परेशान करता है, खासकर जब बात आवासीय (Residential) और व्यावसायिक (Commercial) संपत्ति की हो।

​इस पोस्ट में हम किराए पर GST से जुड़े सभी नियमों को बहुत ही आसान भाषा में समझेंगे, हम जानेंगे कि जीएसटी किसे देना पड़ता है, कौन कौन से किराए पर जीएसटी लगता है, और इससे जुड़ी मुख्य छूट क्या क्या हैं।

मतलब यह पोस्ट आपके हर तरह के किराए (व्यावसायिक और आवासीय) पर जीएसटी के नियमों को में स्पष्ट करके बताऊंगा, इसीलिए आप इस पोस्ट को लास्ट तक जरूर पढ़ें।

आप किराए पर जीएसटी के नियम को समझना चाहते है, मतलब आप ईमानदारी से टैक्स को जमा करना चाहते है या अपने संपत्ति के किराए पर टैक्स को समझना चाहते है ताकि बाद में आपको दिक्कत न हो, परेशान न हो, आज आप सब कुछ समझ जाएंगे।

यह पोस्ट खासकर छोटे व्यवसायी, मकान मालिक और किरायेदार सबके लिए है, हम इस पोस्ट में आवासीय (Residential) और व्यावसायिक (Commercial) बात को बार बार बोलेंगे (आवासीय का मतलब है रहने के लिए) और (व्यावसायिक का मतलब किसी व्यवसाय करने के लिए मकान को ले रहे हैं) इन दोनों बात से आप कंफ्यूज ना हो।

किराए पर GST किसे देना पड़ता है?

देखिए किराए पर जीएसटी का नियम आपके व्यवसाय के प्रकार और आपकी कुल सालाना इनकम पर निर्भर करता है, इसका सीधा जवाब यह है कि किराए पर जीएसटी तब लगता है, जब कोई मकान मालिक की कुल वार्षिक आय ₹20 लाख रुपए से ज़्यादा हो और वह अपनी व्यावसायिक संपत्ति किराए पर दे रहा हो।

  1. सरकार ने सेवाओं के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन की सीमा ₹20 लाख रखी है, जबकि किराया सेवा (Service) के अंदर आता है, इसलिए यह नियम किराए पर भी लागू होता है।
  2. अगर किसी मकान मालिक की साल भर की कमाई किराए से ₹20 लाख से ज़्यादा है, तो उसे जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है।

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व्यावसायिक किराए के नियम (Rules for Commercial Rent)

अगर कोई मकान मालिक अपना संपत्ति किसी व्यापार या व्यवसाय करने के लिए किराए पर देता है, तो उस पर जीएसटी के नियम लागू होते हैं।

  1. ₹20 लाख से कम वार्षिक आय: अगर मकान मालिक का एक साल का किराया ₹20 लाख से कम होता है, तो उन्हें जीएसटी रजिस्ट्रेशन करने की कोई ज़रूरत नहीं है, और उन्हें मिले हुए किराए पर जीएसटी नहीं लेना होगा।
  2. ₹20 लाख से ज़्यादा वार्षिक आय: अगर कुल एक साल का किराया ₹20 लाख से ज़्यादा है, इस मामले में मकान मालिक को जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराना होगा और उन्हें किराए पर 18% की दर के हिसाब से जीएसटी लगाना होगा।
  3. रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM): यह एक बहुत ही जरूरी और अच्छा नियम है, यह आरसीएम के मदद से अगर कोई जीएसटी रजिस्टर्ड व्यक्ति किसी गैर रजिस्टर्ड मकान मालिक से अपने व्यावसाय के लिए संपत्ति किराए पर लेता है, तो किरायेदार को खुद जीएसटी देना होगा (जिसे रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म) RCM कहते हैं।

RCM में किरायेदार (मतलब जो दुकान या मकान को भारे पर ले रहा है) उनको ही 18% जीएसटी भरकर सरकार को जमा कराना होगा, क्योंकि उनको अपना पैसा का हिसाब सरकार को दिखाना होगा, और आप मकान मालिक को जीएसटी के झंझट नहीं लेना पड़ेगा।

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आवासीय किराए के नियम (Rules for Residential Rent)

अब पोस्ट के इस भाग को आप अच्छे से समझे क्योंकि यह एक ऐसा पार्ट है जहाँ पर लोगों को बहुत ही ज़्यादा भ्रम होता है।

  1. व्यक्तिगत उपयोग के लिए: अगर कोई मकान मालिक अपनी आवासीय संपत्ति किसी व्यक्ति को खुद रहने के लिए किराए पर देता है, तो इस किराए पर जीएसटी नहीं लगता है, सबके लिए यह एक बहुत ही बड़ी छूट है।
  2. व्यावसायिक उपयोग के लिए: अगर कोई आवासीय संपत्ति किसी व्यापार या व्यवसाय के लिए किराए पर ली जाती है (जैसे कोई चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) अपने घर में ही ऑफिस को चलाता है) या (अगर कोई कंपनी अपने कर्मचारियों को रहने के लिए कोई घर किराए पर लेती है) तो उस पर जीएसटी के नियम लागू हो सकते हैं।

किराए पर TDS और GST का एक अलग नियम

आपके लिए यह जानना बहुत ही ज़रूरी है कि किराए पर जीएसटी के नियमों के अलावा, आयकर अधिनियम (Income Tax Act) के तहत TDS के नियम भी लागू होते हैं, TDS और GST दोनों एक दूसरे से अलग हैं और एक साथ लागू हो सकते हैं।

TDS क्या है और यह कब कटता है?

टीडीएस का मतलब है स्रोत पर कर कटौती (Tax Deducted at Source), इसका मतलब है कि किराया देने वाला व्यक्ति (किरायेदार) किराए का पैसा देने के समय टैक्स काटकर सीधे सरकार को जमा करता है आपके नाम से।

किराए पर टीडीएस के नियम दो तरह के किरायेदारों पर लागू होते हैं आप इनको जान लीजिए:

1.व्यक्तिगत किरायेदार (Individual Tenant)

  • यह नियम कब लागू होता है: अगर कोई व्यक्ति या HUF (Hindu Undivided Family), जिनका ऑडिट नहीं होता है, लेकिन ₹50,000 हर महीने (मतलब सालाना ₹6 लाख) से ज़्यादा किराया देता है।
  • TDS की दर: इस मामले में तब टीडीएस 5% की दर के हिसाब से काटा जाता है।

ध्यान दें: यह नियम केवल व्यक्तिगत उपयोग के लिए किराए पर ली गई संपत्ति पर लागू होता है, और किरायेदार को टीडीएस काटने के लिए आपके पैन कार्ड की ज़रूरत होती है।

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2.व्यवसायी किरायेदार (Business Tenant)

  • यह नियम कब लागू होता है: अगर कोई कंपनी, पार्टनरशिप फर्म, या व्यक्ति/HUF, जिनका ऑडिट होता है, वह अगर ₹2,40,000 से ज़्यादा का सालाना किसी को किराया देता है।
  • TDS की दर: इस मामले में तब टीडीएस 10% की दर के हिसाब से काटा जाता है।

TDS और GST में अंतर

  • GST: यह तब लगता है जब मकान मालिक की वार्षिक आय ₹20 लाख से ज़्यादा हो (व्यावसायिक किराए पर)।
  • TDS: यह तब कटता है जब किरायेदार एक निश्चित सीमा से ज़्यादा का किराया किसी मकान मालिक को देता है।

ध्यान रखे: यह संभव है कि किराए पर जीएसटी नहीं लगे, लेकिन टीडीएस कटे, या दोनों लगें यह पूरी तरह से मकान मालिक और किरायेदार की आय और आपके स्थिति पर निर्भर करता है।

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ध्यान रखने योग्य मुख्य बातें (Important Points to Remember)

अभी मैं आपको फिर से कुछ बातें आपको बता रहा हूं जो आपको हमेशा ध्यान रखना चाहिए जब आप किराए पर मकान दे रहे हैं, या आप में से कोई व्यवसाय के लिए या रहने के लिए मकान को भारे पर ले रहे हैं।

  1. जीएसटी केवल व्यावसायिक (Commercial) किराए पर लागू होता है, आवासीय (Residential) के लिए नहीं।
  2. जीएसटी रजिस्ट्रेशन की सीमा ₹20 लाख है, जो कि आपका कुल इनकम (Total Revenue) पर लागू होता है, न कि केवल किराए से आने वाली पैसे पर।
  3. अगर आप एक मकान मालिक हैं और आप अपना व्यावसायिक संपत्ति किराए पर देते हैं, तो GSTIN होना और सही GSTIN चालान देना ज़रूरी है।
  4. जब आप किराए के समझौते करे तब (Rent Agreement) में जीएसटी से जुड़ी सभी शर्तों का स्पष्ट रूप से उल्लेख कीजिए।
  5. कोई किरायेदार आपसे टीडीएस तब काट सकता है जब वह खुद जीएसटी में रजिस्टर हो, आप भी किसी से जीएसटी तभी ले सकते है जब आप खुद जीएसटी में रजिस्टर कर अपना जीएसटीआईएन नंबर ले लेंगे।

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निष्कर्ष (Conclusion): किराए पर GST के बारे में

देखिए ​किराए पर जीएसटी का नियम बहुत ही सरल है अगर आप समझ गए हैं तो, यह मुख्य रूप से व्यावसायिक संपत्तियों पर लागू होता है, जिनकी कुल वार्षिक आय एक निश्चित सीमा से ज़्यादा हो जाता है, जो हमने ऊपर आपको बताया।

​अगर आप एक मकान मालिक हैं तो अपनी कुल इनकम का हिसाब करें, अगर आपका सभी इनकम मिलकर ₹20 लाख से ज़्यादा हो जाता है, तो आपको जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराकर किराए पर जीएसटी लेना होगा। 

अगर आप एक किरायेदार हैं, तो यह देखे कि आपका मकान मालिक जीएसटी में रजिस्टर्ड है या नहीं, ताकि आप रिवर्स चार्ज के नियमों को लागू कर सकें।

और ​सही जानकारी होने पर आप इन टैक्स के छूट को ले सकते हैं और कानूनी रूप से सही तरीके से काम कर सकते हैं, और टैक्स कानून से बच सकते हैं।

फिर से आपको बता देता हूं आवासीय संपत्ति का किराया जीएसटी के नियम से बाहर है, लेकिन व्यावसायिक संपत्ति का किराया एक निश्चित सीमा से ज्यादा होने पर जीएसटी के दायरे में आता है।

में उम्मीद करता हू कि मकान रेंट पर देने या लेने पर जीएसटी नियम क्या है? इसके सभी बात को आपने समझ लिया है, अपने दोस्त और सोशल मीडिया पर इस पोस्ट को शेयर कर उनको भी जानकारी लेने का मौका दे।

हमने पूरे पोस्ट में जीएसटी के बारे में बहुत बात किया है, जीएसटी को अच्छे से समझने के लिए आप इस पोस्ट को जरूर पढ़ें:- GST क्या है? जानें वस्तु एवं सेवा कर के 4 प्रकार (CGST, SGST, IGST, UTGST) और उनका मतलब

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