हमने भी आपने बहुत सारे पोस्ट में आईटीसी का दावा के बारे में बहुत बार बताया उन पोस्ट में पूरे जानकारी नहीं है इसीलिए आज इस पोस्ट आईटीसी के माध्यम से पूरी जानकारी दे रहा हूं।
जो लोग जीएसटी के दायरे में आते हैं उनके लिए आईटीसी क्या है और आईटीसी क्लेम करने की प्रक्रिया, नियमों और शर्तों को लेकर दुविधा होती है, आज हम इन सभी पर चर्चा करेंगे जिससे यह आपकी टैक्स बिल को कम करने में मददगार होगा।
यह पोस्ट कोई भी जीएसटी पंजीकृत व्यवसायी छोटा हो या बड़ा, नया उद्यमी, अकाउंटेंट, या कोई भी जो व्यक्ति आगे इस फील्ड में आने वाले है उनके लिए यह जीएसटी के आईटीसी के बारे में यह जानकारी बहुत काम आएगी।
इस पोस्ट में क्या क्या है?
इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) क्या है? (आसान भाषा में समझें)
आईटीसी का मतलब है इनपुट टैक्स क्रेडिट, और यह क्रेडिट आपके लिए बहुत ही फायदेमंद है इससे आप अपने बहुत सारी टैक्स को बचा सकते है, इसे आप ऐसे समझें कि जब आप अपने बिज़नेस के लिए कोई सामान या सेवा खरीदते हैं जैसे कच्चा माल, ऑफिस का फर्नीचर, या कंसल्टेंसी सर्विस।
और उस पर आप जीएसटी चुकाते हैं, तो यही पहले चुकाया हुआ जीएसटी सरकार आपको अपनी कुल टैक्स देनदारी से घटाने की छूट देती है, जैसे किसी सामान बेचने पर 20 रुपए का जीएसटी लगता है और आपने पहले ही इस सामान का 5 रुपए जीएसटी चुका दिए है, अब आपको अपना जीएसटी जमा करने के समय 20-5= 15 रुपए देने होते है।
आईटीसी का मुख्य मकसद ‘टैक्स पर टैक्स’ (Cascading Effect) लगने को रोकना था, जिससे एक ही चीज़ पर बार बार टैक्स ना लगे, और लोगों की टैक्स कम हो इससे छोटे कारोबार करने वालों को आगे बढ़ाया जाए।
एक उदाहरण से समझे: आपने एक शर्ट बनाने के लिए धागा खरीदा है और उस पर जीएसटी देते है, और फिर उस धागे से आप शर्ट बनाकर बेचते है, और बेचने के समय ग्राहक से जीएसटी लेते है।
अब आप बिना आईटीसी से उसे धागे पर चुकाया गया जीएसटी और शर्ट पर लिया गया जीएसटी, दोनों अपनी जेब से भरना पड़ता है, लेकिन आईटीसी के मदद से उस धागे पर चुकाया गया जीएसटी और शर्ट बेचकर मिले जीएसटी से घटाने की सुविधा मिल जाती है, इससे बिज़नेस करने वाले का टैक्स का बोझ थोड़ा कम हो जाता है।
आप ITC का दावा कब और कैसे कर सकते हैं? (कौन और कैसे)
आईटीसी का दावा सिर्फ जीएसटी में रजिस्टर्ड व्यक्ति या बिज़नेस करने वाले ही कर सकते है, कंपोजिशन स्कीम वाले डीलर या बिज़नेस वाला लोग आईटीसी का दावा नहीं कर सकते।
आईटीसी क्लेम करने के लिए कुछ खास शर्तें हैं:
- आपके पास ओरिजिनल टैक्स इनवॉइस (जीएसटी बिल) या डेबिट नोट होना चाहिए, यह सबसे ज़रूरी डॉक्यूमेंट है, जिससे आप आईटीसी क्लेम कर सकते है।
- आपने जो सामान या सेवाएँ दिखा रहे है, वह असल में आपको मिल गई है, ऐसा होनी चाहिए।
- आपके सप्लायर (जिससे आपने सामान या सेवाएँ खरीदा है) उसने अपने जीएसटी रिटर्न (GSTR-1) में आपकी खरीद को सही तरीके से उसको बनाया हो।
- आपके सप्लायर ने आपके दिए गए उस जीएसटी को सरकार के पास जमा कर किया है।
- और आपने अपना मासिक GSTR-3B रिटर्न फाइल कर दिया हो तभी आपको यह आईटीसी मिलेगा।
आईटीसी दावा करने की प्रक्रिया:
- सबसे पहले आपको यह कंफर्म करना है कि आपने जो जीएसटी पहले चुकाया है, वह आपके जीएसटी पोर्टल पर GSTR-2B में दिख रहा है, GSTR-2B में दिखे गए पैसे को आप आईटीसी ले सकते है।
- उसके बाद आप अपने मासिक रिटर्न GSTR-3B में उन पैसे का आईटीसी दावा करेंगे।
- एक बार जब आप दावा कर लेते हैं, तो यह पैसा आपके इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर में जमा हो जाती है, और आप इस लेजर में जमा पैसे का इस्तेमाल अपनी आउटपुट जीएसटी जब जमा करेंगे (जो जीएसटी आपने अपने ग्राहकों से इकट्ठा किया है) उनको चुकाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
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GSTR-2B का महत्व और ITC मैचिंग क्यों ज़रूरी है?
GSTR-2B क्या है? GSTR-2B यह जीएसटी पोर्टल पर अपने आप बनने वाला आपके लिए एक स्टेटमेंट है, यह स्टेटमेंट आपके सप्लायर्स (जिनसे आपने सामान की खरीदारी करी है) उनके द्वारा भरे गए GSTR-1 रिटर्न की जानकारी से बनता है, यह स्टेटमेंट आपको यह बताता है कि आपके नाम पर कितना आईटीसी उपलब्ध है जिनको आप ले सकते है।
यह GSTR-2B आपके लिए एक विश्वास का स्रोत हैं, यह बताता है कि आप कितना आईटीसी कानूनी रूप से क्लेम कर सकते हैं, इसीलिए हमेशा आईटीसी मैचिंग करे की अपने खरीद के सामान के रिकॉर्ड को GSTR-2B से मिल रहा है।
ITC मैचिंग क्यों ज़रूरी है?
- नियम 36(4): जीएसटी का एक जरूरी नियम 36(4) कहता है कि आप सिर्फ वही आईटीसी क्लेम कर सकते हैं जो आपके GSTR-2B में दिखा रहा है।
- अगर GSTR-2B में आपका पैसा नहीं दिख रहा तो आप क्लेम नहीं कर सकते, चाहे आपके पास बिल क्यों न हो, इसीलिए अपनी खरीदारी के बिलों को GSTR-2B से मैच करना बहुत ही ज़रूरी है।
- नोटिस से बचाव: अगर आप GSTR-3B में ज़्यादा आईटीसी क्लेम कर लेते हैं जो आपके GSTR-2B से मेल नहीं खाता, तो आपको पास जीएसटी विभाग से नोटिस मिल सकता है।
- गलत क्रेडिट से बचाव: यह GSTR-2B आपको गलती से गलत या फर्जी इनवॉइस पर आईटीसी क्लेम करने से बचाती है।
इसीलिए हमेशा जो सही में आपका आईटीसी बनता है वहीं क्लेम करे और अपने डॉक्यूमेंट को अच्छे से मैच करे ताकि बाद में आपको कानूनी परेशानी न हो।
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किन परिस्थितियों में आप ITC का दावा नहीं कर सकते? (ब्लॉक क्रेडिट)
कुछ खास तरह की खरीदारी या खर्चों (इनपुट या सेवाओं) पर आप आईटीसी क्लेम नहीं कर सकते, भले ही आपने उन पर जीएसटी चुकाया हो, इसे “ब्लॉक क्रेडिट” (Blocked Credits) कहा जाता हैं, सरकार ने कुछ खास कारणों पर कुछ चीजों को आईटीसी के दायरे से बाहर रखा है।
कुछ प्रमुख उदाहरण जहां पर आईटीसी ब्लॉक होता है:
मोटर वाहन: लोगो को ले जाने वाले मोटर वाहन (कार) और जहाजों पर आईटीसी नहीं मिलता क्योंकि वह आप अपने काम के लिए खरीद रहे है, कुछ को छोड़कर जैसे अगर आप गाड़ियों की डीलरशिप करते हैं या टैक्सी सेवा देते हैं, इन मामले पर आप आईटीसी क्लेम कर सकते है।
खाने पीने की सेवाएं, ब्यूटी ट्रीटमेंट, हेल्थ सर्विस: जो हम अपने रोजाना इस्तेमाल करने के लिए खरीदते है जैसे राशन की सामान और डॉक्टर के पास या जिम में दिया पैसा इन पर चुकाए गए जीएसटी का आईटीसी किसी को नहीं मिलता।
कर्मचारियों को दिए गए मुफ्त उपहार: अगर आप अपने एंप्लॉई को गिफ्ट देते है जो आपके बिज़नेस से संबंधित ना हो उन पर आपको आईटीसी नहीं मिलता।
व्यक्तिगत इस्तेमाल (Personal Consumption): जो कुछ भी सामान या सेवाएँ आपके बिज़नेस के लिए नहीं बल्कि निजी इस्तेमाल के लिए खरीदा गया हों इनपर आपको आईटीसी नहीं मिलता जैसे कार, मोबाइल।
चोरी हुए, नष्ट हुए या गुम हुए सामान: कोई भी सामान आपका जो चोरी हो गया या खराब हो गया ऐसे सामान पर चुकाया गया जीएसटी भी आप क्लेम नहीं कर सकते।
कंपोजिशन स्कीम वाले डीलरों से खरीदारी: कंपोजिशन डीलर सामान बेचने पर अपने ग्राहक से जीएसटी इकट्ठा नहीं करते, इसलिए आपको उनसे की गई खरीद सामान पर आईटीसी क्लेम करने का मौका नहीं मिलता।
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ITC क्लेम करने की समय सीमा (Time Limit)
आईटीसी क्लेम करने के लिए सबके पास एक निश्चित समय सीमा होती है, अगर आप इस समय सीमा के भीतर दावा नहीं करते तो आप अपना आईटीसी खो सकते हैं।
नियम: आप उस वित्तीय वर्ष के लिए आईटीसी क्लेम कर सकते हैं जिस साल इनवॉइस जारी हुआ था, मतलब इस साल की इनवॉइस आप अगले साल के दिए गए समय के अंदर क्लेम करना होता है।
GSTR-3B इसकी अंतिम जमा करने की तिथि अगले वित्तीय वर्ष के सितंबर महीने की होती है, जो आमतौर पर 20 अक्टूबर होती है, या संबंधित सालाना रिटर्न (GSTR-9) फाइल करने की तिथि है, इस से पहले आपको वह फाइल करना है।
उदाहरण: अगर कोई इनवॉइस अप्रैल 2024 से मार्च 2025 वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंदर बना है, तो उसका GSTR-3B से आईटीसी क्लेम करने की आखिरी तारीख 20 अक्टूबर 2025 है, जो GSTR-9 फाइल करने की भी समय होती है उससे पहले करनी होगी।
आपका जानकारी के लिए बता दूं GSTR-9 सालाना हिसाब का रिटर्न होता है, इन समय सीमा के पार होने के बाद आप पिछले साल का आईटीसी का दावा नहीं कर सकते।
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ITC मैच न होने पर क्या करें? (समस्या का समाधान)
अगर आपके खरीद के रिकॉर्ड और आपके GSTR-2B में आईटीसी मेल नहीं होता है तो यह आपको भारी नुकसान दे सकती है और यह एक आम समस्या है जो होता रहता है, लेकिन इसका समाधान करना भी आसान है।
अपने सप्लायर से संपर्क करें: आपके लिए सबसे पहले और सबसे ज़रूरी जो कदम है वह है अपने सप्लायर (जिससे आपने सामान खरीदा है) उनसे संपर्क करना, और उनसे कहें कि वे अपना GSTR-1 सही ढंग से फाइल करें या गलती हुआ तो उसमें सुधार करें ताकि आपका आईटीसी आपके GSTR-2B में दिखे।
अंतर के पैसे को खुद भरें: अगर आपका सप्लायर तुरंत सुधार नहीं करता और आपको अपना GSTR-3B फाइल करने की समय आ गया है, तो आपको वह आईटीसी क्लेम छोड़ना होगा जो GSTR-2B में नहीं दिख रहा, इसका मतलब यह है कि आपको उस पैसे का जीएसटी फिर से अपनी जेब से देना होगा।
जीएसटी विभाग का नोटिस: अगर आपके GSTR-3B में क्लेम किया गया आईटीसी का पैसा और GSTR-2B में दिख रहा आईटीसी का पैसा बहुत अलग है, तो जीएसटी विभाग से आपको नोटिस भेजा जा सकता है, ऐसे में आपको अपने सभी बिल और रिकॉर्ड के साथ जीएसटी विभाग को जवाब देना होगा।
सभी चीज का रिकॉर्ड रखें: ऐसे जीएसटी विभाग के नोटिस का सही जवाब देने के लिए कि आपका यहां पर गलती नहीं है, इसीलिए हमेशा अपने सभी खरीद का सभी इनवॉइस का अच्छे से रिकॉर्ड रखें ताकि ज़रूरत पड़ने पर आप उन्हें दिखा सकें।
निष्कर्ष: सही ITC क्लेम करें, टैक्स का बोझ कम करें
ITC (इनपुट टैक्स क्रेडिट) से GST (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) का बहुत सारा लाभ मिलता है जिससे व्यवसायों को टैक्स बचाने में मतलब टैक्स कम करने में बहुत सारा मदद मिलती है।
आईटीसी का दावा करना वैसे तो सरल है, लेकिन इसके नियमों और GSTR-2B से मैचिंग पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है, साथ में सही जानकारी और समय पर नियमों का पालन करने से आप कानूनी परेशानी नहीं होगी।
और अपने बिज़नेस के लिए पैसों का सही ढंग से हिसाब और इस्तेमाल कर पाएंगे, और साथ में अपना सारी लेन देन का डॉक्यूमेंट रखे, और यही कुछ आईटीसी के नियम और आईटीसी मैचिंग से आप अपना आईटीसी का दावा कर सकते है।
हमेशा याद रखें कि टैक्स नियम पर हर साल कुछ ना कुछ बदलाव होते रहते हैं, इसीलिए हमेशा नवीनतम नियम की ओर ध्यान रखें, और आपको अगर टैक्स के विषय पर कोई भी परेशानी हो तो हमेशा एक अच्छे टैक्स सलाहकार (CA) से संपर्क करें, वह आपको सही सलाह देंगे।
मुझे आशा है कि आपको इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) क्या है, इसे कैसे क्लेम किया जाता है, इसके नियम और शर्तें क्या हैं इन सब के बारे में और GSTR-2B का इसमें क्या महत्व है यह सब अच्छे से समझ लिया है, अपने दोस्तों के पास और सोशल मीडिया पर इस पोस्ट को शेयर करके उनको भी जानकारी लेने का मौका दें।
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