हमारे भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स कैसे लगता है? भारत सरकार ने इस पर कुछ नए नियम लागू किए हैं, लेकिन आम लोगों और छोटे निवेशकों को अभी भी क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स के नियम को लेकर बहुत सारी भ्रम है, क्योंकि भारत में लाखों लोग क्रिप्टोकरेंसी पर निवेश करते हैं और वे सभी क्या टैक्स देना पड़ेगा ऐसे सवाल को लेकर चिंतित हैं।
लेकिन आज में इस पोस्ट के माध्यम से आपका सारा सवाल का जवाब दूंगा, आपको क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स के बारे में सभी जानकारी यही पर मिलेगा और जो लोग आगे क्रिप्टोकरेंसी पर इन्वेस्ट करना चाहते है उनके लिए भी यह पोस्ट बहुत मदद गार होगा, इसीलिए आप इस पोस्ट को लास्ट तक पढ़ें।
आयकर अधिनियम, 1961 के तहत भारत में (VDA) को वर्चुअल डिजिटल एसेट टैक्स इंडिया, सरकार ने इस पर टैक्स और नियम लागू किए गए, इस इनकम को पूंजीगत लाभ (Capital Gains) या व्यावसायिक आय के रूप में देखा गया है, नीचे हम यह सभी बात करेंगे।
इस पोस्ट में क्या क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी क्या है और भारत में इसका दर्जा क्या है?
थोड़ा सा आपको क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) के बारे में बता देता हु, क्रिप्टोकरेंसी एक तरह का डिजिटल करेंसी है इसको आप हाथ में छू कर नहीं देख सकते, यह इंटरनेट पर रहता है और इंटरनेट से चलता है।
और इसे ब्लॉकचेन नाम की एक खास तकनीक से सुरक्षित रखा जाता है इसे कोई हैक नहीं कर सकता कोई चुरा नहीं सकता, क्रिप्टोकरेंसी में सबसे जो नाम लोगों को पता है वह है, बिटकॉइन (Bitcoin), बिटकॉइन इंटरनेट में सबसे ज्यादा चलने वाला क्रिप्टोकरेंसी है।
क्रिप्टोकरेंसी के ही उदाहरण: जैस एथेरियम (Ethereum), डोजकॉइन (Dogecoin), लाइटकॉइन (Litecoin) जैसे बहुत सारी नाम का क्रिप्टोकरेंसी ऑनलाइन में मौजूद है, इनका नाम आप नहीं सुने होंगे ये भी बिटकॉइन की तरह ही हैं।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी इसका दर्जा क्या है? भारत सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को सीधे सीधे “पैसा” या “मुद्रा” के रूप में नहीं माना है, बल्कि इसे एक नई तरह की “वर्चुअल डिजिटल एसेट (Virtual Digital Asset – VDA)” मतलब “आभासी डिजिटल संपत्ति” का दर्जा दिया है।
क्योंकि यह एक डिजिटल करेंसी है और यह एक वर्चुअल संपत्ति की तरह है लेकिन यह सामान्य पैसों, सोने या चांदी जैसी संपत्ति से क्रिप्टोकरेंसी पूरा अलग है और इसपर एक खास टैक्स नियम सरकार ने बनाया हैं।
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भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स के मुख्य नियम (2022-23 और बाद के)
पहले क्रिप्टोकरेंसी के इनकम पर कोई टैक्स नियम नहीं था लेकिन अभी 1 अप्रैल 2022 के बाद इस इनकम VDA पर टैक्स के नियम लागू हुआ है यह नियम काफी सरल है लेकिन बहुत सख्त हैं।
क्रिप्टो प्रॉफिट पर 30% का फ्लैट टैक्स: आप जब कोई क्रिप्टोकरेंसी खरीदते हैं और बाद में उसे बेचकर जितना फायदा (प्रॉफिट) कमाते हैं, तो उस पूरे फायदे के ऊपर आपको कुल 30% फ्लैट टैक्स देना होगा।
इसमें आपकी कमाई कितनी भी हो वह देखा नहीं जाता, चाहे प्रॉफिट कम हो या ज्यादा हो, कुल टैक्स की दर 30% ही रहेगी, और इसमें सेस (Cess) 4% और सरचार्ज (Surcharge) अधिकतम 15% लग सकता हैं, जिससे आपकी कुल टैक्स की अमाउंट थोड़ी और बढ़ सकता है।
उदाहरण 30% VDA टैक्स: मान लीजिए आपने ₹2 लाख की क्रिप्टोकरेंसी खरीदी और उसे ₹2.5 लाख में बेचा है, तो आपका फायदा हुआ ₹50,000 रुपए अब इस ₹50,000 पर आपको 30% टैक्स यानी ₹15,000 टैक्स देना होगा।
सेस (Cess) 4%: और साथ में आपका उस 15,000 का 4% सेस (Cess) टैक्स लगता है, तो आपका सेस टैक्स हुआ 600 रुपए ऐसे में आपको आपके 50,000 के क्रिप्टो प्रॉफिट पर सरकार को 15,000+600 टोटल 15,600 देने होंगे, सरकार यह सेस स्वास्थ्य और शिक्षा से जैसी सरकारी कामों के लिए यह पैसा इकट्ठा करती है।
सरचार्ज (Surcharge): टैक्स और सेस के ऊपर लगने वाला यह अतिरिक्त टैक्स है, यह सरचार्ज तब लगता है जब आपकी कुल सालाना इनकम सिर्फ क्रिप्टो इनकम नहीं, जब आपकी सारी इनकम मिलाकर सरकार के बनाए नियम के एक निश्चित सीमा से बहुत ज़्यादा हो।
- अगर आपका सालाना कुल इनकम ₹50 लाख से ₹1 करोड़ के बीच हो तो 10% सरचार्ज लगती है।
- अगर आपका सालाना कुल इनकम ₹1 करोड़ से ₹2 करोड़ के बीच हो तो 15% सरचार्ज लगती है।
- अगर आपका सालाना कुल इनकम ₹2 करोड़ से ₹5 करोड़ के बीच हो तो 25% सरचार्ज लगती है।
- अगर आपका सालाना कुल इनकम ₹5 करोड़ से ऊपर हो तो 37% सरचार्ज लगती है।
लेकिन क्रिप्टोकरेंसी इनकम के लिए सरचार्ज आप पर ज्यादा से ज्यादा 15% पर लग सकते है, भले ही आपकी कुल आय ₹2 करोड़ से ज़्यादा क्यों न हो।
सरचार्ज उदाहरण: अगर आपकी सालाना कुल इनकम ₹1.5 करोड़ है और उसमें आपका क्रिप्टो प्रॉफिट भी शामिल है, तो 30% क्रिप्टो टैक्स लगेगा, और फिर उस टैक्स पर 15% सरचार्ज लगेगा, और फिर कुल (टैक्स + सरचार्ज) पर 4% सेस टैक्स लगेगा।
इसमें कोई कोई खर्च या कटौती नहीं मिलता: इस टैक्स को जमा करने के समय बस आप उस क्रिप्टोकरेंसी को खरीदने में जितने पैसे लगाया है (मतलब जितने में आपने उसे खरीदा था) बस इसको ही घटा सकते हैं इसमें सिर्फ मुनाफा की गणना की जाती है।
आप क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी और कोई भी खर्चा करते है जैसे माइनिंग का खर्चा, इंटरनेट का खर्चा, या प्लेटफॉर्म फीस (ट्रेडिंग फीस), दूसरे क्रिप्टोकरेंसी में घटा ऐसे कोई भी चीज़ आपको टैक्स से रूप में घटाने नहीं दी जाएगी मतलब दूसरा कोई छूट नहीं मिलेगी।
इसमें नुकसान का कोई भरपाई नहीं है: यह एक बहुत ही जरूरी और महत्वपूर्ण नियम बनाया है सरकार ने जो आपको जानकारी होना जरूरी है, यदि आपको किसी भी क्रिप्टोकरेंसी की बिक्री पर नुकसान (loss) होता है, तो आप उस नुकसान के टैक्स को किसी दूसरे क्रिप्टोकरेंसी से हुए फायदे में से नहीं घटा सकते।
या और भी किसी तरह से इनकम जैसे सैलरी या बिज़नेस इनकम से इसे घटा नहीं सकते, मतलब आपका क्रिप्टोकरेंसी पर नुकसान, केवल आपका नुकसान है और उसे आगे कही फॉरवर्ड भी नहीं किया जा सकता, दूसरे टैक्स नियम की तरह।
एक उदाहरण से समझे: अगर आपको बिटकॉइन बेचने पर ₹30,000 का फायदा हुआ, और एथेरियम बेचने पर ₹20,000 का नुकसान हुआ, इस मामले पर आपको सिर्फ बिटकॉइन के ₹30,000 के प्रॉफिट पर टैक्स 30% जो ₹9,000 होता है और सेस 4% जो ₹360 टोटल 9360 उतना टैक्स देना पड़ेगा, एथेरियम के नुकसान को आप बिटकॉइन और कहीं भी एडजस्ट नहीं कर सकते।
क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन पर TDS के नियम (धारा 194S)
सरकार के नियम के अनुसार धारा 194S में अब आपके क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन पर 1% TDS (Tax Deducted at Source) मतलब स्रोत पर कर कटौती भी लागू होती है, ताकि लेन देन की सही ट्रैक किया जाए।
इसका मतलब है कि जब आप अपने पास रखा हुआ क्रिप्टोकरेंसी को बेचते हैं, तब पूरा पैसा आपको नहीं मिलता उसका कुछ हिस्सा पहले ही टैक्स के रूप में काट लिया जाता है और सरकार के पास जमा किया जाता हैं।
1% TDS काटा जाता है: यदि आप एक साल के अंदर ₹10,000 या कुछ खास मामलों में ₹50,000 से ऊपर के राशि के क्रिप्टोकरेंसी का लेनदेन करते हैं मतलब बेचते हैं, तो उस मामले में आपके कुल बिक्री के राशि पर 1% का टीडीएस काटा जाता है।
टीडीएस कौन काटता है: यह टीडीएस ज्यादा तर क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज प्लेटफार्म जैसे WazirX, CoinDCX और भी कोई जो VDA का एक्सचेंज करते है वह काटते हैं, अगर आप किसी और व्यक्ति से सीधे क्रिप्टोकरेंसी खरीद रहे हैं तो खरीदने वाले की भी टीडीएस काटने की जिम्मेदारी हो सकती है, क्योंकि पैसा देने वालों का हक है टीडीएस काटना।
टीडीएस का क्रेडिट कैसे मिलेगा: यह जो 1% का टीडीएस कटता है यह आपका फाइनल टैक्स नहीं है, यह सिर्फ आपका एक एडवांस टैक्स है, जब आप अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करेंगे उस समय आप इस काटे गए टीडीएस के अमाउंट को अपनी कुल टैक्स देनदारी में से घटा सकते है।
यदि किसी मामले पर आपका टीडीएस ज्यादा कटा गया है (मतलब जितना आपको टैक्स देना है उससे ज्यादा कटा गया है) उस मामले पर आपका वह पैसा आपको रिफंड मिल जाएगा, मैने ऊपर में ही आपको बताया कि टीडीएस इसीलिए काटा जाता है ताकि सरकार लेन देन पर नजर रख सके।
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क्रिप्टोकरेंसी उपहार और अन्य आय पर टैक्स
नियम के अनुसार सिर्फ क्रिप्टोकरेंसी के खरीदने और बेचने से ही नहीं बल्कि क्रिप्टोकरेंसी से अन्य तरीकों से भी कमाया जा सकती है इसीलिए उन पर भी टैक्स लगता है, आईए समझते है।
उपहार (Gift) में मिली क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स
उपहार (Gifts) मिले क्रिप्टो पर टैक्स: यदि आपको किसी रिश्तेदार के अलावा किसी और से ₹50,000 से ऊपर मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी उपहार के रूप में मिलती है, तो उस पर टैक्स लग सकता है, इसे आपकी “अन्य स्रोतों से आय” मान कर टैक्स लगता है।
और अगर आपको अपने रिश्तेदारों से उपहार के रूप में क्रिप्टोकरेंसी मिली है तो उसपर कोई टैक्स नहीं लगेगा चाहे उसका कितनी भी मूल्यों हो जैसे माता, पिता, पति, पत्नी, बच्चे, भाई, बहन इसमें यह सभी लोग शामिल है।
गैर रिश्तेदारों से मिले क्रिप्टोकरेंसी उपहार को जब आप बेचते है तो उस पर हुए मुनाफे पर 30% का फ्लैट टैक्स लगता है, क्योंकि आपको मिले हुए क्रिप्टो पर तो आप पहले ही टैक्स दे चुके है, बस आपका पहले दिया हुआ अमाउंट का टैक्स फिर से नहीं देना पड़ेगा।
एक उदाहरण से समझे जैसे: आपके भाई ने आपको ₹2 लाख की बिटकॉइन गिफ्ट की इसमें कोई टैक्स नहीं लगेगा और अगर आपके दोस्त ने आपको ₹2 लाख की ईथीरियम गिफ्ट की तो उस पूरी ₹2 लाख पर आपके स्लैब दर के हिसाब से टैक्स लगेगा, और दोनों ही मामले में जब आप उस क्रिप्टो को बेचते है तो 30% टैक्स लगता है।
क्रिप्टो माइनिंग (Mining) से हुई इनकम पर टैक्स
क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग क्या है? क्रिप्टो माइनिंग का मतलब है जटिल गणितीय पहेलियाँ को सुलझाकर नई क्रिप्टोकरेंसी बनाना या दूसरे के लेनदेन (transactions) को सही से वेरिफाई करना और इसके बदले आपको नई क्रिप्टो टोकन इनाम के नाम पर मिलते हैं, यह कोई भी कर सकता है बस ज्ञान और कंप्यूटर होना चाहिए।
ऐसे अगर आप क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग करते हैं मतलब नई क्रिप्टोकरेंसी बनाते हैं, तो उससे होने वाली इनकम को “व्यवसाय से आय” माना जाएगा और उस इनकम पर आपको टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा।
जैसे जब आपको माइनिंग रिवॉर्ड मिलता है उस समय क्रिप्टोकरेंसी के मार्केट वैल्यू (बाजार मूल्य) को आपकी “अन्य स्रोतों से आय” (Income from Other Sources) माना जाता हैं, मतलब आपकी कुल इनकम के हिसाब से जो टैक्स बनता है वह आप पर लागू होती है।
और जब आप अपने माइन की हुई क्रिप्टो को बेचते हैं या खर्च करते हैं, तो उस पर हुए लाभ पर आपको 30% का फ्लैट टैक्स देना पड़ेगा, इसमें सिर्फ आपको उस समय की मार्केट वैल्यू को घटाने की अनुमति होती है जिस वैल्यू पर आपको पहली बार क्रिप्टो का टोकन मिला था, क्योंकि पहले ही उस पर टैक्स लग चुका था।
और आपके प्रॉफिट किए हुए क्रिप्टो के पैसा पर आपको खर्चों की कटौती के रूप में कुछ नहीं मिलता जैसे माइनिंग में लगने वाले बिजली, इंफ्रास्ट्रक्चर (जैसे कंप्यूटर, ग्राफिक्स कार्ड) या अन्य खर्चों को आप अपनी माइनिंग इनकम से घटा नहीं सकते, यह एक तरह से बहुत बड़ा नुकसान है।
एक छोटा सा उदाहरण से समझे: आपने बिटकॉइन माइन किया और आपको 1 बिटकॉइन मिला, उस समय पर उसकी कीमत ₹30 लाख थी, इस ₹30 लाख पर आपके स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा और आपने टैक्स भी दे दिया, अब आपने उस 1 बिटकॉइन को ₹40 लाख में बेचते हैं तो ₹10 लाख का प्रॉफिट हुआ अब इस ₹10 लाख के ऊपर 30% टैक्स लगेगा।
क्रिप्टो के स्टेकिंग (Staking) और लेंडिंग (Lending) इनकम पर टैक्स
क्रिप्टोकरेंसी में स्टेकिंग क्या है? क्रिप्टो स्टेकिंग का मतलब है अपने क्रिप्टो टोकन को एक खास ब्लॉकचेन नेटवर्क पर “लॉक” करना ताकि उस नेटवर्क को सुरक्षित रखने और लेनदेन को वेरिफाई करने में मदद मिल सके, इसके बदले आपको इनाम के तौर पर क्रिप्टो मिलती है।
क्रिप्टोकरेंसी में लेंडिंग क्या है? क्रिप्टो में लेंडिंग का मतलब है अपना क्रिप्टो को दूसरों को उधार देना जो अक्सर किसी क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म के ज़रिए होता है और बदले में ब्याज से पैसा मिलता हैं।
अब समझे इसपर टैक्स कैसे लगता है? जब स्टेकिंग से मिले रिवॉर्ड्स या लेंडिंग से मिले ब्याज का पैसा आपको मिलते है, उस समय की मार्केट वैल्यू को आपकी “अन्य स्रोतों से आय” (Income from Other Sources) मानकर इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है।
और जब आप रिवॉर्ड या ब्याज में मिली क्रिप्टो बेचते हैं: जब बाद में आप उस स्टेकिंग रिवॉर्ड या लेंडिंग ब्याज में मिली क्रिप्टो को बेचते हैं, तो उस पर हुए प्रॉफिट पर 30% का फ्लैट टैक्स लगता है, इसमें आपको उस समय की मार्केट वैल्यू को घटाने की अनुमति होती है जिस पर आपको पहली बार रिवॉर्ड या ब्याज मिला था क्योंकि उस पर पहले ही टैक्स चुका दिए थे।
इसमें भी आपको खर्च की कटौती नहीं मिलता जैसे स्टेकिंग या लेंडिंग से जुड़ी कोई भी फीस या अन्य खर्चों को आप अपनी इस इनकम से घटा नहीं सकते।
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क्रिप्टोकरेंसी टैक्स के लिए ITR फाइलिंग कैसे करें?
यह सब जो क्रिप्टो के टैक्स दर को अपने समझा वह सब आपको अपनी क्रिप्टोकरेंसी से हुई आय को अपने इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में सही ढंग से दिखाना होगा, नहीं तो आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, चलिए इसे भी समझते हैं।
सही आईटीआर फॉर्म चुनना: अगर आपको सिर्फ सैलरी और क्रिप्टो से इनकम हुए है, तो आपको ITR-2 फाइल करना पड़ सकता है, और अगर आप क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग को एक बिज़नेस के रूप में दिखाते हैं या अन्य व्यावसायिक आय है, तो आपको ITR-3 फाइल करना पड़ सकता है।
अलग से रिपोर्टिंग: CBDT (सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस) ने आईटीआर फॉर्म में VDA से होने वाली इनकम के लिए अलग सेक्शन (अनुसूची) बनाए हैं, आपको अपनी VDA की खरीद, बिक्री और लाभ या नुकसान का डिटेल्स वहां पर भरना होता है।
फॉर्म 26AS और AIS/TIS को समझना: आप अपना आईटीआर फाइल करने से पहले, आपको फॉर्म 26AS और AIS (Annual Information Statement) / TIS (Taxpayer Information Summary) को ज़रूर देखना चाहिए।
क्योंकि इनमें आपके पैन कार्ड के नंबर से काटे गए सभी टीडीएस और किए गए सभी बड़े लेनदेन की जानकारी होती है, जिससे आप कंफर्म कर सकते हैं कि आपने सब कुछ सही रिपोर्ट किया है, जिससे आपका टैक्स का काम सही से हो।
क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स बचाने के तरीके (सीमित, लेकिन संभव)
वैसे तो क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स बचाने का बहुत सीमित तरीका हैं मतलब ना के बराबर क्योंकि इसमें नियम काफी सख्त हैं, फिर भी आपको थोड़ा जानकारी दे देता हु।
नुकसान बुकिंग (Tax Loss Harvesting) की सीमाएं: जैसा कि हमने पहले ही आपको बताया कि आप एक क्रिप्टोकरेंसी से हुए नुकसान को किसी अन्य इनकम या दूसरे किसी क्रिप्टोकरेंसी प्रॉफिट से घटा नहीं सकते।
हालांकि यदि आपको एक ही वित्तीय वर्ष में अलग अलग क्रिप्टोकरेंसी से लाभ और हानि दोनों हुए हैं, तो आप एक VDA लाभ को दूसरे VDA लॉस को हिसाब करके अपने प्रॉफिट को देख सकते है, ऐसे तब हो सकता है जब आप बहुत ज्यादा डिजिटल करेंसी पर इन्वेस्ट करते है।
एक उदाहरण से समझे: आपको Bitcoin पर ₹50,000 का फायदा और Ethereum पर ₹30,000 का नुकसान हुआ, तो आपको बिटकॉइन के लाभ ₹50,000 पर 30% टैक्स देना होगा, और टैक्स के बाद के बचे हुए पैसे से आप एथेरियम के लॉस के साथ घटाकर देख सकते है कि आपको टोटल कितना फायदा हुआ।
यह बात सिर्फ आप ध्यान रखे: कि टैक्स कैलकुलेशन करने के समय आप सिर्फ उस क्रिप्टोकरेंसी को खरीदने की मूल लागत ही घटा सकते हैं (मतलब जितने में आपने क्रिप्टोकरेंसी खरीदा था)।
खर्च का सही रिकॉर्ड रखें: आपको अपने सभी क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन का पूरे और सटीक रिकॉर्ड रखना चाहिए, जैसे खरीद की तारीख, कीमत, बिक्री की तारीख, कीमत, एक्सचेंज फीस, और कुल लाभ या नुकसान यह सभी शामिल करना है।
ताकि आपका असली लाभ की गणना करने और भविष्य में किसी भी सवाल का जवाब देने में मदद मिलेगी, और ऐसा डिटेल्स रखने से शायद अगले बजट में खर्चा का कटौती भी सरकार लाएं तो ऐसे हिस्ट्री से आपको आगे फायदा मिलेगा।
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निष्कर्ष: क्रिप्टोकरेंसी टैक्स पर एक नई वित्तीय सच
भारत से क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना और उससे कमाई करना एक अच्छा रास्ता है लेकिन अब क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह से टैक्स के अंदर आता है, अब सरकार इस प्रॉफिट को गंभीरता से ले रही है और इस पर खास नियम बना दिए हैं।
इसीलिए आपको भी टैक्स के नियम को पालन करना चाहिए ताकि आप जुर्माने और कानूनी परेशानियों से बचे, क्योंकि अपनी मेहनत की कमाई को बचाने और जुर्माने या कानूनी परेशानियों से बचना आपके हाथ में है, इसीलिए अपने सभी क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन का सही रिकॉर्ड रखें और समय पर अपना आईटीआर फाइल करें।
क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले मुनाफे पर पहले 30% का फ्लैट टैक्स लगता है, और फिर उस 30% के टैक्स की राशि पर 4% सेस लगता है, अगर आपकी कुल सालाना इनकम बहुत ज़्यादा है (₹50 लाख से ऊपर), तो उस 30% टैक्स की राशि पर सरचार्ज भी लगता है (जो अधिकतम 15% होता है)।
और आपके नुकसान का कोई भरपाई नहीं मिलेगा साथी में आपका खर्चा का भी कोई कटौती नहीं मिलता है, और साथ ही क्रिप्टो लेनदेन पर 1% TDS भी कटता है, इसीलिए हमने पहले ही बताया था कि क्रिप्टोकरेंसी टैक्स नियम बहुत ही सख्त है।
अभी भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी किसी भी तरह की आय चाहे वह ट्रेडिंग, माइनिंग, गिफ्ट, स्टेकिंग या लेंडिंग से हो इन सभी पर कड़ी नज़र है, ज्यादातर उस मामलों में जब आप वास्तव में मुनाफा कमाते हैं, कुछ मामले पर आपके स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है, इसके अलावा TAX और TDS तो लगता है।
हमेशा याद रखें कि टैक्स नियम पर हर साल कुछ ना कुछ बदलाव होते रहते हैं, इसीलिए हमेशा नवीनतम नियम की ओर ध्यान रखें, और आपको अगर टैक्स के विषय पर कोई भी परेशानी हो तो हमेशा एक अच्छे टैक्स सलाहकार (CA) से संपर्क करें, वह आपको सही सलाह देंगे।
क्योंकि इस क्षेत्र में लगातार नियम में बदलाव हो रहा है इसका कारण यह क्षेत्र नया है और नियम अभी भी विकसित हो रहे हैं, और आगे हो सकता है इसमें टैक्स का परसेंटेज को सरकार कम करें, इसीलिए किसी भी संदेह या जटिलता के लिए हमेशा एक योग्य टैक्स सलाहकार से सलाह लेना सही होगा।
क्योंकि वह आपकी अभी स्थिति के अनुसार सबसे अच्छी सलाह दे सकते हैं और आपको कानूनी रूप से जुर्माना और टैक्स बचाने में मदद कर सकते हैं, और भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स कैसे लगता है? इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ और सोशल मीडिया पर शेयर कर उनको भी जानकारी लेने का मौका दे।
अब इस पोस्ट को पढ़ें:- Income Tax से Notice आ जाए तो क्या करें? जानें क्या करना चाहिए पूरी जानकारी