GSTR-1 और GSTR-3B में क्या अंतर है? जानें आसान भाषा में

जीएसटी रिटर्न फाइल करना हर एक बिज़नेसमैन के लिए एक ज़रूरी काम है, लेकिन अक्सर लोग GSTR-1 और GSTR-3B के बीच के अंतर को लेकर डाउट में रहते हैं, क्या ये दोनों एक ही हैं? या यह दोनों अलग अलग हैं?

असल में यह दोनों जीएसटी रिटर्न के दो अलग अलग हिस्से हैं, और इन दोनों को सही समय पर फाइल करना बहुत ज़रूरी है, यह पोस्ट बिज़नेसमैन और फ्रीलांसर्स सभी के लिए है।

में इस पोस्ट को आपको GSTR-1 vs GSTR-3B को अच्छे से समझाऊंगा इसीलिए आप इस पोस्ट को लास्ट तक पढ़े, एक भी पॉइंट मिस मत कीजिए नहीं तो आपके पास जानकारी अधूरा रह जाएगा।

GSTR-1 और GSTR-3B दोनों ही जीएसटी रिटर्न के अंदर आता है, एक लाइन में कहूं तो GSTR-1 आपके बेची गई सामान का हिसाब है और GSTR-3B टैक्स पेमेंट का हिसाब है, चलिए दोनों को अच्छे से समझते हैं।

GSTR-1 क्या है?

देखिए GSTR-1 आपके मासिक या तिमाही का विवरण (Statement) होता है, यह रिटर्न नहीं है इसे फाइल करके आप जीएसटी विभाग को यह बताते हैं कि आपने पिछले महीने या तिमाही में कितनी बिक्री (Outward Supplies) की है।

इसमें आपकी हर इनवॉइस की जानकारी देनी होती है, जैसे किसे माल या सेवा बेची, कितनी मात्रा में और उस पर कितना टैक्स लगाया गया है, यह मासिक या तिमाही पर फाइल किया जाता है, मतलब GSTR-1 का मुख्य उद्देश्य है सरकार को आपके बिज़नेस की सेल्स का पूरा जानकारी देना।

GSTR-1 में क्या जानकारी दी जाती है?

GSTR-1 में जो जानकारी जमा किया जाता है इसका लिस्ट में आपको नीचे दिया हूं:

  1. B2B Sales (Business to Business): जीएसटी में रजिस्टर्ड GSTIN वाले ग्राहकों को की गई सप्लाई।
  2. B2C Large Sales: ₹2.5 लाख से ज्यादा के इंटर-स्टेट अनरजिस्टर्ड ग्राहकों को की गई सप्लाई।
  3. B2C Small Sales: ₹2.5 लाख से कम वाली अनरजिस्टर्ड ग्राहकों को की गई सप्लाई।
  4. Exports (Zero-rated supplies): विदेश में भेजी गई वस्तुएँ या सेवाएँ।
  5. Credit or Debit Notes: पहले जमा की गई इनवॉइस में सुधार।
  6. Advance Received: एडवांस पेमेंट पर टैक्स देने की जानकारी।
  7. Nil Rated, Exempted और Non-GST Supplies: अगर कुछ भी ऐसी सेल्स हुई हैं।
  8. HSN-wise summary of outward supplies: बेचे गए प्रोडक्ट्स का एचएसएन (HSN) कोड और वैल्यू का सारांश।
  9. Document details: बनाए गए इनवॉइस, रिवाइज्ड इनवॉइस और क्रेडिट नोट या डेबिट नोट्स की संख्या।

मतलब यह सेल्स (Sales) का रिटर्न है, इसमें जो जानकारी दी जाती है जैसे बेचे गए सामान का विवरण और किसे बेचा, GSTR-1 फाइल करने की लास्ट डेट हर महीने की 11 तारीख की होती है।

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GSTR-3B क्या है?

देखिए GSTR-3B यह GSTR-1 से उल्टा काम करता है यह एक कुल (Summary Return) होता है, इसमें आप सरकार को बताते हैं कि आपकी कुल कितनी बिक्री हुई है, कुल खरीदारी कितना है, कितना इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) लिया और आखिर में आपको सरकार को कितना टैक्स देना है।

यह इनवॉइस का डिटेल नहीं है, बल्कि पूरा हिसाब भरे जाते हैं, इसे हर महीने फाइल करना होता है और यही GSTR-3B का रिटर्न असल में टैक्स पेमेंट होता है, सही समय पर GSTR-3B न भरने से पेनल्टी, ब्याज और आपका आईटीसी में असर पड़ता है।

GSTR-3B में क्या जानकारी दी जाती है?

GSTR-3B में कौन सा जानकारी सरकार को दिया जाता है इसका लिस्ट में नीचे आपको दिया हूं:

  1. आपकी पूरी सेल्स और उस पर लगने वाला सभी टैक्स।
  2. कुल खरीदारी क्या है और उस पर मिलने वाला इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) कितना है।
  3. आपको कितना टैक्स देना है और यह जमा करना है।
  4. रिवर्स चार्ज मैकेनिज़्म (RCM) के अंदर लिया जाने वाला टैक्स।
  5. Interest और Late Fees देना है अगर आप पर लगाया है तो।

यह बात आप जानकर रखे की GSTR-3B फाइल करने की लास्ट डेट हर महीने की 20 तारीख की होती है, यह आप समय से पहले जमा करें।

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GSTR-1 और GSTR-3B में मुख्य अंतर का टेबल

अब में आपको GSTR-1 और GSTR-3B का एक टेबल बनकर दिखा रहा हूं इससे आप दोनों के बीच का असली अंतर को समझने में मदद मिलेगा।

बिंदुGSTR-1GSTR-3B
उद्देश्यसरकार को बताना कि आपने कितनी बिक्री की और किसको कीसरकार को बताना कि आपको कितना टैक्स देना है और कितना आईटीसी लिया
डेटा का प्रकारआउटवर्ड सप्लाई (बेची गई चीज/इनवॉइस का डिटेल्स) की रिपोर्टिंगबेची गई और खरीदी गई चीजों का सारांश (Summary Return)
नेचरडिटेल्स (Statement)रिटर्न (Return)
पेमेंटइसमें कोई टैक्स देना नहीं होता हैइसी के ज़रिए टैक्स जमा किया जाता है
फाइलिंग मासिक या त्रैमासिक (टैक्स देने वाले पर निर्भर होता है)हर महीना
फाइलिंग की तारीखहर महीने की 11 तारीखहर महीने की 20 तारीख
कौन फाइल करता हैGSTR-1 लगभग सभी रजिस्टर्ड बिज़नेस कोGSTR-3B सभी को
आईटीसी का इस्तेमालGSTR-1 में आईटीसी का बात नहीं होता, यह सिर्फ आउटवर्ड सप्लाई के लिए हैयहाँ आप आईटीसी का इस्तेमाल कर अपना टैक्स कम करते हैं
महत्वआपकी बिक्री का रिकॉर्ड सरकार और आपके ग्राहकों तक पहुँचानाटैक्स का पैसा जमा करना

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दोनों एक दूसरे से कैसे जुड़े हैं?

आप जो भी डेटा GSTR-1 में डालते हैं तो वह अपने आप GSTR-3B में दिखाई देता है, जब आप अपनी सारी बिक्री GSTR-1 में जमा करते हैं तो GSTR-3B में आपकी कुल बिक्री और उस पर लगने वाले टैक्स का हिसाब पहले से तैयार हो जाता है।

GSTR-1 और GSTR-3B में सप्लायर और खरीदार की भूमिका

सप्लायर (Seller): GSTR-1 में सप्लायर यानी (Seller) अपनी की गई सेल्स और इनवॉइस का डिटेल्स इसमें अपलोड करता है, GSTR-3B में वही सप्लायर अपने कुल सेल्स और टैक्स का डिटेल्स भरकर सरकार को टैक्स जमा करता है।

खरीदार (Business/Recipient): GSTR-1 में सप्लायर से अपलोड किया गया इनवॉइस को देखकर अपनी खरीद का मिलान करता है, और GSTR-3B में खरीदी पर मिले आईटीसी का दावा (Input Tax Credit) करता है और उसे अपनी देने हुए टैक्स से एडजस्ट करता है।

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निष्कर्ष: GSTR-1 और GSTR-3B के बारे में

आसान भाषा में बताऊं तो GSTR-1 जानकारी देने का फॉर्म होता है, लेकिन GSTR-3B पेमेंट करने का फॉर्म होता है, दोनों ही रिटर्न समय पर फाइल करना जरूरी है और यह देखना है कि दोनों में दी गई जानकारी सही हो।

असल में GSTR-1 में आपका डाला हुआ डेटा ही GSTR-3B में दिखाई देता है।

  • GSTR-1 = सेल्स (आउटवर्ड सप्लाई) की रिपोर्ट कार्ड होता है
  • GSTR-3B = टैक्स पेमेंट की समरी और मासिक सारांश रिटर्न है।

में उम्मीद करता हू कि आप इस पोस्ट से जीएसटीआर 1 और 3B के अंतर के सभी बात को जाना है, अपने दोस्त और सोशल मीडिया पर इस पोस्ट को शेयर कर उनको भी जानकारी लेने का मौका दे।

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