नए जीएसटी दरों में बदलाव हमेशा व्यापारियों और छोटे व्यवसायों के लिए एक बड़ी मुश्किल खड़ा कर देती है, आज इस में आपका सभी परेशानियों को हल मिलेगा, यह पोस्ट थोड़ा लंबा होगा क्योंकि मैने पूरा विस्तार से बताया ताकि आप व्यापारी ओ को कोई परेशानी न हो।
आप इस पोस्ट को पूरा लास्ट तक पढ़े मेरा आपसे बिनती है कि आप एक भी पॉइंट को मिस न करें नहीं तो आपका मन में सवाल बचा रहेगा, और आप पहले से प्रिपेयर नहीं हो पाएंगे इससे आपको लॉस भी हो सकते है।
इस पोस्ट में क्या क्या है?
परिचय (Introduction)
बैठक में कुछ इलेक्ट्रॉनिक सामान पर जीएसटी दरों को कम करने का फैसला लिया गया है, यह हम जैसे आम उपभोक्ताओं के लिए यह बड़ी राहत की खबर है क्योंकि इससे कीमतों में कमी आएगी।
लेकिन व्यापारियों और टैक्स प्रोफेशनल्स के लिए अब भी कुछ बड़े सवाल खड़े होते है कि:
- अपने पास जो पुराने स्टॉक (Old Stock) हैं, जो ज्यादा जीएसटी दर पर खरीदा गया था उनका क्या होगा।
- ITR और GST Annual रिटर्न में इसका हिसाब कैसे होगा?
- ITR में इन बदलावों को कैसे एडजस्ट किया जाएगा?
- पहले ग्राहक से लिया हुआ जीएसटी पेमेंट जमा अब किस दर से करना होगा?
- पुराना इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) अब क्या नए दर के हिसाब से मिलेंगे।
ऊपर के दिए गए सवाल पुराना स्टॉक ऐसे सभी पर आपका भी काफ़ी कन्फ्यूजन रहेगा, चिंता न करें आज आप सब कुछ समझ जाएंगे, और साथ में हमने इन सवाल के अलावा भी और भी बहुत सारे सवाल को इस पोस्ट में लिखा हूं।
GST दरें कम होने का क्या असर होता है?
कभी कभी सरकार ऐसा कदम अक्सर देश के महंगाई कम करने या किसी विशेष उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ऐसे फैसले लेता है, ऐसे फैसले से सामान के दाम पर कमी देखने को मिलती है।
लेकिन नई दरें उसी दिन से लागू होती हैं जब सरकार अपने तरफ से नोटिफिकेशन जारी करती है, अभी जो बात हुई है वह सिर्फ दर कम करने का बात की है, असल में अब के नवरात्रि 22 सितंबर 2025 से नए जीएसटी दर दिखने को मिलेंगे।
मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक सामान पर नई GST दरें
पहले मोबाइल पर जीएसटी 18% और कुछ इलेक्ट्रॉनिक सामान पर 18% और 28% जीएसटी दर लागू था।
लेकिन अब 56वीं बैठक में इलेक्ट्रॉनिक के दर 28% से घटाकर 18% कर दी गई है, और कुछ रोज के इस्तेमाल होने वाले सामान पर 5% जीएसटी कर दिया गया है।
इससे सीधा असर बाजार की कीमतों पर दिखेगा, जिससे आम ग्राहकों को ज्यादा फायदा मिलेगा, क्योंकि अब सामान जो सस्ता होने वाला है।
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पुराने स्टॉक (Inventory) पर असर
यह इस पोस्ट का सबसे महत्वपूर्ण पार्ट है, की पुराने स्टॉक पर जीएसटी का क्या करें? ध्यान रखे कि नया जीएसटी रेट सिर्फ 22 सितंबर 2025 के बाद के सप्लाई पर ही लागू होगा।
आपके पहले खरीदे गए माल (जैसे 18% पर आपने खरीदा हुआ स्टॉक) उन पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) उसी दर से आपको मिलेगा।
और उस सामान के बिक्री के समय हर व्यापारी को नई दर (5% या 18%) जो भी होगा वहीं चार्ज करनी होगी, आपने पुराने जिस जीएसटी दर पर खरीदा था उस दर पर नहीं बेच सकते, नीचे इन दूं बातों का पॉइंट के साथ समझाया हूं।
- पुराने स्टॉक पर टैक्स: आपने स्टॉक खरीदते समय पुरानी जो अधिक दर पर टैक्स दिया था।
- नए बिक्री पर टैक्स: अब आपको इस स्टॉक को नई जीएसटी दर मतलब कम दर पर बेचना होगा।
इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का क्या होगा?
जीएसटी के दर में बदलाब होने के बाद भी आप आईटीसी का दावा करने के लिए आपका पूरा अधिकार अभी भी रहेगा, आप अपने पुराने स्टॉक पर दी गई ज़्यादा जीएसटी का पूरा आईटीसी क्लेम कर सकते हैं, लेकिन आपको उस स्टॉक को नई जो दर लागू होगा उसी दरों पर ही बेचना होगा।
एक उदाहरण से समझे: अगर आपने AC के स्टॉक 28% जीएसटी दर पर खरीदा और बाद में 18% हो गया, तो पुराने माल पर आपको आईटीसी 28% ही मिलेगा, लेकिन बेचते समय 18% चार्ज करना होगा।
इसका मतलब है कि इनपुट टैक्स और आउटपुट टैक्स में बहुत अंतर आएगा, इनपर आपको अपने हिसाब में एडजस्ट करना होगा, इससे लॉस तो नहीं होगा फिर भी कुछ परेशानी पहले पहले व्यापारियों को आएगी।
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पुराने बिल और इनवॉइस का क्या होगा?
आपको बता दूं को पुराने बिल की तारीख पर जो जीएसटी दर लागू थी अब भी वही मानी जाएगी।
एक उदाहरण से समझे: अगर आपने 20 सितंबर को कोई सामान 18% पर खरीदा तो उस इनवॉइस पर पुरानी दर ही लागू रहेगी।
अगर आपने दरें बदलने के बाद कोई पुराना बिल संशोधित करना चाहते है (Credit Note या Debit Note) से तो जीएसटी दर उसी समय की होगी जब उस समान का सप्लाई हुई थी।
मतलब आपके इनवॉइस की तारीख ही टैक्स दर को तय करेगी, इस बात का आप ध्यान रखें।
पुराना जीएसटी का भुगतान
अगर आपका पुराना जीएसटी पेमेंट बाकी है तो आपको वह पुराने रेट (5%, 12%, 18%, 28%) पर ही चुकाने होंगी, नया 5% और 18% रेट सिर्फ आगे की सप्लाई पर लागू होगा, पुराने ट्रांजैक्शन पर नहीं।
- मतलब अगर आपने दर बदलने के बाद कोई चालान जारी किया है, तो नई दर लागू होगी भले ही आपने माल पहले ही भेज दिया हो।
- और अगर आपने दर बदलने से पहले चालान जारी किया इसमें भी तो पुरानी दर लागू होगी, भले ही आपको पेमेंट बाद में मिले।
ऊपर के दोनों पॉइंट आपका पेमेंट और चालान का नियम है, फिर से आपको याद दिलादु जीएसटी दर हमेशा उस दिन के हिसाब से तय होती है जब चालान (Invoice) जारी किया जाता है।
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ITR और GST Return Filing पर असर
आपको आईटीआर और वार्षिक जीएसटी रिटर्न दोनों में आपको पुराने और नए रेट दोनों का रिकॉर्ड अलग अलग दिखाना होगा।
ध्यान रखें की अलग अलग समय की सप्लाई अलग अलग रेट से गिनी जाएगी, रेट चेंज होने के बाद।
CBIC इस ट्रांजिशन पर जल्दी गाइडलाइन जारी करेगा कि इस ट्रांजिशन को कैसे संभालना है, ताकि व्यापारियों को इन नियम को पालन करना आसानी हो।
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जीएसटी कम होने से क्या व्यापारियों को नुकसान होगा
जीएसटी कम होने से मालिक को कोई नुकसान नहीं होगा, क्योंकि इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की व्यवस्था इसी नुकसान को रोकने के लिए बनाई गई है, आईए समझते है कैसे:
सामान की खरीद: मान लीजिए आपने एक सामान ₹200 में खरीदा था, जिस पर पहले 28% GST था, तो 28% जीएसटी होता है ₹56, तो आप उस सामान 256 में खरीदा, और उस ₹56 का ITC का दावा कर लिया।
सामान की बिक्री: अब मान लीजिए कि सरकार ने उस सामान पर जीएसटी दर घटाकर 18% कर दी और आपको इसे बेचना है, तो बेचते समय मान लीजिए प्रॉफिट के साथ ₹250 से बेचते है, और अब ₹250 पर आपने अपने ग्राहक से 18% जीएसटी लिया जो होता है ₹45।
फाइनल जीएसटी हिसाब: अब आपको सरकार को कितना जीएसटी देना है आईए इसकी गणना करते है, आपके बिक्री पर सरकार को देना है जीएसटी ₹45 और आपका ITC बचा है ₹56, तो ₹45-₹56= -₹11।
इस हिसाब से अब भी आपके पास ₹11 का आईटीसी क्रेडिट बचा हुआ है, जिसे आप अपनी अन्य सामान बिक्री के बाद जीएसटी जमा करने के समय घटा सकते हैं।
मूल बात यह है कि आपका लाभ या हानि आपके सामान की मूल कीमत ₹200 पर होता है, न कि जीएसटी कम या ज्यादा होने पर, जीएसटी एक ऐसा टैक्स है जिसे आप ग्राहक से लेते हैं और सरकार को देते हैं।
और ITC से आपको यह देखना है कि आपको अपनी खरीद के समय दिए गए टैक्स का पूरा क्रेडिट मिले, जिससे आपको कोई नुकसान का सामना न करना पड़े।
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व्यापारियों और ग्राहकों के लिए कुछ सुझाव
- पुराने और नए स्टॉक को अलग अलग मेंटेन करें मतलब अलग अलग रिकॉर्ड करें।
- नया इनवॉइस में तारीख और नया जीएसटी दर साफ लिखें।
- आईटीसी का क्लेम हमेशा पुरानी दर के हिसाब करें।
- पुराना टैक्स जो बचा है वह तुरंत क्लियर करें ताकि पेनल्टी से आप बचे।
- नए दर लागू होने के बाद आप अपने Accounting Software या ERP Software में जीएसटी के नए रेट्स अपडेट करें।
- अपने ग्राहकों को नई दर का लाभ तुरंत दें।
- अब कोई नया स्टॉक न ले नया जीएसटी स्लैब लागू होने के बाद नया स्टॉक ले।
ग्राहक के लिए: एक ही बात है नवरात्रि तक इंतजार करें और नया रेट लगने के बाद इलेक्ट्रॉनिक सामान ले, और साथ में जीएसटी बिल को ध्यान से देख की जो नया रेट लागू हुआ है वह आपको मिल रहा है कि नहीं।
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निष्कर्ष (Conclusion)
देखिए जीएसटी दरों में बदलाव एक सामान्य नियम है, ऐसे होते रहते है, आप व्यापारियों के लिए इन नियमों का पालन करना चाहिए, साथ में सही चालान जारी करें और अपने आईटीसी का सही दावा करें ताकि आपको किसी भी प्रकार के नुकसान का सामना न करना पड़े।
इलेक्ट्रॉनिक सामान पर जीएसटी दरों में कम होने के वजह से उपभोक्ताओं के लिए राहत की बात है, लेकिन व्यापारियों के लिए यह बदलाव कुछ दिन तक मुश्किल लग सकता है।
याद रखें पुराना माल और पुराने टैक्स पेमेंट हमेशा पुरानी दर पर खत्म करने होंगे, नया रेट सिर्फ 22 सितंबर 2025 से आगे की बिल पर लागू होगा, इसलिए आप अपना रिकॉर्ड को सही से मेनटेन करें और हो सके तो ग्राहकों तक जीएसटी की सही जानकारी पहुँचाएँ।
में उम्मीद करता हूं कि एक व्यापारी के रूप में आप जीएसटी दर में बदलाव होने के बाद आपको किन किन चीजों का ध्यान रखना है, और क्या क्या काम आपको करना है? यह सभी जानकारी आपको मिली है, अपने व्यापारी दोस्तों के साथ और सोशल मीडिया पर इस पोस्ट को शेयर करके उनको भी जानकारी लेने का मौका दें।
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