जीएसटी में IRP (Invoice Registration Portal) क्या है? जानें ई-इनवॉइसिंग में इसका क्या रोल है?

जीएसटी में ई-इनवॉइसिंग (e-invoicing) का एक ज़रूरी रूल है और इस पूरी प्रक्रिया का दिल है IRP, अगर आप एक बिज़नेसमैन हैं तो आईआरपी को समझना आपके लिए बहुत ज़रूरी है, आईआरपी सिर्फ एक पोर्टल नहीं है, असल में यह आपके व्यापार को ज़्यादा शक्तिशाली और अच्छा बनाने का एक आसान तरीका है।

आज आप आसान भाषा में समझेंगे कि आईआरपी क्या है? और यह आपके लिए क्या मायने रखता है, एक एक कर में सभी पॉइंट आपको बताऊंगा इसलिए आप इस पोस्ट को लास्ट तक जरूर पढ़ें, नहीं तो आप जरूरी जानकारी मिस कर देंगे।

IRP (Invoice Registration Portal) क्या है?

Gst में आईआरपी का मतलब इनवॉइस रजिस्ट्रेशन पोर्टल है, यह हमारे भारत सरकार द्वारा चलाया जाने वाला एक ऑनलाइन पोर्टल है जिसका असली काम लोगों के ई-इनवॉइस को रजिस्टर करना और वैलिडेट (validate) करना है।

देखिए जब कोई व्यवसाय करने वाला ई-इनवॉइस बनाता है, तो वह सीधे जीएसटी पोर्टल पर नहीं जाता है, सबसे पहले उसे आईआरपी पर अपलोड किया जाता है, उसके बाद आईआरपी उस इनवॉइस को अच्छे से देखते है।

जांच होने बाद एक यूनिक नंबर (Invoice Reference Number – IRN) बनकर देता है और एक डिजिटली साइन्ड QR कोड बनाता है,  इसके बाद ही वह इनवॉइस कानूनी रूप से मान्य होता है।

IRP कैसे काम करता है?

आईआरपी के काम करने की पूरी प्रक्रिया बहुत तेज़ और ऑटोमेटेड होती है, इनको आप नीचे के दिए हुए 4 आसान पॉइंट में समझ जाएंगे:

  1. इनवॉइस बनाना: किसी व्यवसाय करने वाला अपने अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर जैसे टैली में एक सामान्य इनवॉइस बनाता है, उसके बाद यह इनवॉइस के डेटा एक खास JSON फॉर्मेट में बदल जाता है।
  2. IRP पर अपलोड: उसके बाद यह JSON डेटा सीधा आईआरपी पर अपलोड किया जाता है।
  3. IRN और QR कोड जनरेशन: आईआरपी पर अपलोड किए गए डेटा को कई तरह से जांचता है (जैसे डुप्लिकेट है कि नहीं, फॉर्मेट सही है या नहीं), यह सब कुछ सही होने पर, आईआरपी एक यूनिक IRN और एक QR कोड बनाता है।
  4. वैलिडेशन और वापसी: आईआरपी इस नए IRN और QR कोड के साथ इनवॉइस को डिजिटली साइन करके वापस बिज़नेस के सॉफ्टवेयर को भेज देता है, और ऐसा प्रोसेस होने के बाद यह इनवॉइस कानूनी रूप से वैलिड ई-इनवॉइस बन जाता है।

सरकार से आईआरपी पोर्टल बहुत सारी बनाया है जैसे einvoice1.gst.gov.in, einvoice2.gst.gov.in यह बहुत सारा इसीलिए है, क्योंकि भारत में एक दिन में बहुत सारी इनवॉइस बनाया जाता है, किसी एक सर्वर पर ज्यादा लोड पड़ने पर सर्वर बंद हो सकता है।

इसीलिए आईआरपी पोर्टल बहुत सारा है ताकि सभी सर्वर इनवॉइस को मैनेज करे और साइट डाउन न हो, मैंने आपको यह बात इसलिए बताया आगे जाकर आपको ऐसे बहुत सारे अलग अलग साइड देखने को मिलेंगे और आप कंफ्यूज हो जाएंगे।

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IRP का इस्तेमाल क्यों ज़रूरी है? (इसके फायदे)

आईआरपी का इस्तेमाल करना सिर्फ कानूनी बात नहीं है, असल में इसके कुछ फायदे भी हैं:

  • गलतियों में कमी: जब कोई इनवॉइस आईआरपी पर वैलिडेट होता है, तो गलतिया होने के चांस पूरा कम हो जाता है।
  • ऑटोमेटिक डेटा ट्रांसफर: आईआरपी से आपका इनवॉइस के डेटा सीधे जीएसटी पोर्टल (GSTR-1) और ई-वे बिल पोर्टल पर चला जाता है, इससे आपका बहुत समय बचता है और डेटा एंट्री की गलतियाँ पूरा पूरी खत्म हो जाती हैं।
  • आसान ITC: जब आप किसी से सामान को खरीदते हैं और जब इसका इनवॉइस आईआरपी पर रजिस्टर्ड है, तो आप आसानी से आईटीसी का दावा (इनपुट टैक्स क्रेडिट) ले सकते हैं।
  • धोखाधड़ी पर रोक: आईआरपी हर इनवॉइस को एक यूनिक IRN मिलता है, जिससे डुप्लिकेट या जाली इनवॉइस बनाना बहुत मुश्किल हो जाता है।

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आईआरपी का इस्तेमाल किसे करना होता है?

आईआरपी का इस्तेमाल उन सभी व्यवसायों को करना होता है जिनका पूरा साल का टर्नओवर सरकार के बनाए गई इनकम सीमा से ज़्यादा हो जाता है, पर यह सीमा समय समय पर बदलती रहती है इस बात का आप ध्यान रखे।

लेकिन अब यह बड़े व्यवसा करने वालों लोगों से शुरू होकर धीरे धीरे छोटे व्यवसायों पर भी लागू की गई है, इसलिए आपको यह देखना होगा कि आपका टर्नओवर इस सीमा के भीतर आता है या नहीं।

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क्या एक इनवॉइस नंबर से 2 IRN जनरेट हो सकता है?

नहीं एक इनवॉइस नंबर से दूं IRN (Invoice Registration Number) जेनरेट नहीं होता है, भले ही आपने पहले वाला आईआरएन कैंसिल कर दिया हो, यह जीएसटी में ई-इनवॉइसिंग का नियम है।

ऐसा नियम क्यों गया है? हर आईआरएन को यूनिक रखने के लिए, IRP (Invoice Registration Portal) यह देखता है कि आपके इनवॉइस नंबर, फाइनेंशियल ईयर, और आपके जीएसटी नंबर (GSTIN) का कभी एक जैसा न हो।

​अगर आप एक आईआरएन को कैंसिल कर भी देते हैं, तो भी वह नंबर सिस्टम में रिकॉर्ड रहता है ताकि कोई भी उसका दोबारा इस्तेमाल कर आगे धोखाधड़ी न कर सके।

आपको क्या करना होगा? अगर आपका कैंसिल किया गया इनवॉइस के लिए दोबारा बिल बनाना है, तो आपको एक बिल्कुल नया इनवॉइस नंबर बनाना होगा (जैसे अगर पुराना नंबर INV/023 था, तो नया INV/024) बनाना होगा तब उस पर नया आईआरएन जेनरेट हो कर मिलेगा।

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निष्कर्ष: आईआरपी के बारे में

कुल मिलाकर बात यह है कि आईआरपी सरकारी एक ऐसा पोर्टल है जो ई-इनवॉइसिंग बनाने के पक्रिया को सरल बनाता है। 

अगर आपका बिज़नेस e-invoicing के अंदर आ रहा हैं तो आईआरपी क्या है? और इसके काम करने की प्रक्रिया को समझना और अपनाना आपके लिए बहुत ज़रूरी है, जो आपने इस पोस्ट में जाना।

में उम्मीद करता हू कि इनवॉइस रजिस्ट्रेशन पोर्टल आईआरपी क्या होता है? इसके सभी बात को आपने समझ लिया है, अपने दोस्त और सोशल मीडिया पर इस पोस्ट को शेयर कर उनको भी जानकारी लेने का मौका दे।

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