GST क्या है? जानें वस्तु एवं सेवा कर के 4 प्रकार (CGST, SGST, IGST, UTGST) और उनका मतलब

ज्यादा लोगों को जीएसटी क्या है? इस सवाल के बारे मैं बड़ा दुविधा रहता हैं, कि असल में जीएसटी मैं क्या होता है, हम सब जाने अनजाने में सरकार को अपने पैसे से जीएसटी देते है, जब हम कोई सामान को खरीदते है।

आज इस पोस्ट मैं आपको जीएसटी के बारे में पूरा जानकारी दूंगा कि असल में जीएसटी क्या है, और हम कैसे जीएसटी सरकार को देते है, और क्या आपको भी जीएसटी रजिस्ट्रेशन करना पड़ेगा यह सब एक एक कर जानेंगे।

एक सवाल से समझे क्या जीएसटी टैक्स है? जीएसटी डायरेक्ट टैक्स नहीं है बल्कि जीएसटी इनडायरेक्ट टैक्स है जो हम किसी और के जरिए सरकार को देते है, जीएसटी टैक्स का एक हिस्सा है और जीएसटी को इनडायरेक्ट टैक्स कहते है।

जीएसटी और टैक्स को और एक उदाहरण से समझे जीएसटी एक तरह से टैक्स ही हैं, किसी सामान पर लगा तो इनडायरेक्ट टैक्स मतलब जीएसटी और किसी के ऊपर लगा तो डायरेक्ट टैक्स।

जीएसटी सभी तरह घरेलू सामान, एमआरपी आइटम और जब हम ऑनलाइन से कुछ खरीदते हैं उन सभी चीजों में लगता है, जीएसटी को जुलाई 2017 में पूरे देश मैं लागू किया था, जीएसटी लाने का मकसद एक देश और सभी स्टेट में एक जैसा टैक्स लागू होना, कुछ कम या ज्यादा नहीं।

एक जैसा टैक्स मतलब बैंगलोर में आपको एक मोबाइल पर जितना जीएसटी देना पड़ रहा है सेम टैक्स आपको असम में भी दिखने को मिलेंगे, आप बिहार से कोई सामान ऑनलाइन बेच रहे है तो जितना एक प्रोडक्ट पर टैक्स दे रहे है वैसे उड़ीसा से भी सेल करने पर सेम टैक्स देना पड़ेगा।

पहले हर एक राज्य पर एक ही सामान का अलग अलग टैक्स था, उसी अलग अलग टैक्स को सभी अमीर गरीब और सभी राज्य पर सबको समान अधिकार और समान टैक्स के अन्दर आए, यही है जीएसटी लाने का सही मकसद।

थोड़ा सा तो आप समझे कि जीएसटी क्या है और डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स के बारे में, लेकिन जीएसटी के बारे में आपको पूरा समझाने से पहले आपको थोड़ा सा टैक्स के बारे में मैं बता देता हूं।

टैक्स क्या है? और सरकार को टैक्स लेने की क्यों जरूरत है?

जीएसटी और टैक्स की जरूरत आज से नहीं बल्की पहले के जमाने में जो राजा महा राजा होते थे वह भी अपने जनता से टैक्स लेते थे, और यह टैक्स आज के समय मैं जीएसटी और इनकम टैक्स के रूप में काम करता है।

टैक्स ही एक ऐसा चीज है जिससे हमारे पैसे से सरकार को देश चलने में मदद मिलती है चाहे वह जीएसटी के रूप में इनडायरेक्ट टैक्स हो या डायरेक्ट टैक्स हो, इन पैसे का इस्तेमाल सरकार घर, राशन, स्कूल, दवाई, रोड इन सब में खर्चा करते है जो हम मुफ्त में मिलता है।

और भी जो नया नया स्कीम बनते है वह भी इसी पैसे से बनती है, और इन टैक्स के पैसा का इस्तेमाल सरकारी कर्मचारी, देश के सुरक्षा बल, और देश का सुरक्षा जैसा कामों में लगती है, एक तरह से सरकार हमारे पैसा ही हमको रिटर्न देते हैं।

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Gst Kya Hai? और जीएसटी कैसे काम करता है?

अभी आप अच्छे से समझें Gst Kya Hai क्योंकि आधे के जैसा टैक्स का पैसा जीएसटी से आता हैं, जीएसटी का फुल फॉर्म है Goods and Services Tax (गुड्स और सर्विस टैक्स, और हिंदी में वस्तु और सेवा कर) मतलब किसी वस्तु या सेवा पर जीएसटी लगता है।

आजकल जीएसटी आम हो गया है आपको हर जगह दिखने को मिलते है और सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता हैं, जीएसटी एक तरह का इनडायरेक्ट टैक्स है जिसे हिंदी में अप्रत्यक्ष कर बोलते है जो बहुत सारी वस्तुओं और सेवाओं में लगाया जाता है।

जब हम पैसा देकर कोई सामान लेते हैं तो बह गुड्स वस्तु के अंदर आता हैं जैसे रोशन के सामान, किताब, मोबाइल, टीवी और बाकी सभी चीज, और जब हम कुछ खरीदते हैं जिसे हम हाथ से छू नहीं सकते या किसी और से प्रदान की जाती है बह सर्विस सेवा के अंदर आता हैं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, होटल।

आजकल हर एक जगह पर जीएसटी के बारे में आपको सुनने को मिल रहा है ऐसे में आपको जानना जरूरी है कि जीएसटी क्या है? और कैसे काम करता है? और ज्यादा जीएसटी के बारे में जानकारी के लिए आपको नीचे के लिखा हुआ जीएसटी के प्रकार को समझना होगा।

जीएसटी कितने प्रकार के होते हैं?

जीएसटी 4 तरह का होता हैं अलग अलग नाम से, लेकिन किसी सामान पर हमको एक ही बार टैक्स देना पड़ता हैं, पर सरकार जो जीएसटी हमसे ले रहा हैं बह कहा से ले रहा हैं और कौन सा राज्य को जीएसटी का कितना हिस्सा देना हैं, इस नियम को जीएसटी के 4 प्रकार से बनाया गया है।

यह भारत सरकार ने नियम तय किया है जीएसटी के लिए, चार प्रकार के जीएसटी नाम CGST, SGST, IGST और UTGST लाया गया है अब किसी सामान पर अगर जीएसटी लगता हैं तो बह 50% राज्य सरकार का है और 50% केंद्रीय सरकार के पास आता हैं।

CGST का फुल फॉर्म Central Goods And Services Tax होता है और हिंदी में (केंद्रीय वस्तु और सेवा कर) इसका पैसा केंद्र सरकार के पास आता है।

SGST का फुल फॉर्म State Goods And Services Tax होता है और हिंदी में (राज्य वस्तु और सेवा कर) इसका पैसा राज्य सरकार के पास आता है।

IGST का फुल फॉर्म Integrated Goods And Services Tax होता है और हिंदी में (अंतर्राज्यीय वस्तु और सेवा कर) इस जीएसटी का इस्तेमाल उन लोगों के लिए है जो एक स्टेट से दूसरा स्टेट में सामान बेचता है, इसे जिसको डेस्टिनेशन जीएसटी भी कहा जाता हैं ।

UTGST का फुल फॉर्म Union Territory Goods And Service Tax होता है और हिंदी में (केंद्र शासित प्रदेश का वस्तु और सेवा कर) यह जीएसटी केन्द्र शासित प्रदेश में लागू होता है जैसे दिल्ली, जम्मू और कश्मीर ऐसे और छह राज्य है।

जीएसटी का पैसा सरकार के पास कैसे आता है?

अब में आपको जीएसटी की विशेषताएं बताता हु जीएसटी जो लिया जाता हैं बह सभी स्टेट से लिया जाता हैं, जीएसटी का दूँ हिस्सा होता हैं 50% 50% जिस स्टेट मैं सामान बनता हैं उस स्टेट के सरकार के पास 50% आता है और केंद्र सरकार के पास 50% जाता हैं ।

इन सभी जीएसटी रेट का जवाब समझना बड़ा ही आसान हैं मान लीजिए किसी स्टेट के एक सामान पर पर 24% का जीएसटी लगा, तो उससे जो 12% राज्य सरकार के पास जाएगा बह हैं SGST, और जो 12% केंद्र सरकार के पास जाएगा बह हैं CGST।

IGST मैं किसी राज्य से सामान बनकर दूसरे राज्य मैं जाता हैं तो बह जिस राज्य पर जा रहा हैं उसी राज्य पर यह 12% जाएगा इसको IGST कहते हैं, और जो 12% केंद्र सरकार के पास जाएगा बह हैं CGST, IGST उसी राज्य को दिया जाता है जिस राज्य पर सामान गया हैं।

UTGST मैं जो सभी केंद्र शासित प्रदेश हैं उसमें 12% और केंद्र सरकार के पास 12% जाएगा काम तो सेम ही हैं सिर्फ नाम अलग अलग हैं, अगर केंद्र शासित हैं तो UTGST और पूरा राज्य हैं तो SGST ।

इन सभी जीएसटी को आसानी से समझे में लिए आप _GST का पहला अक्षर दिखे तो आपको पता चल जाएगा की उस जीएसटी का मतलब क्या है जो ऊपर में मैंने आपको अभी समझाया।

जीएसटी का पैसा घूम फिर के केंद्र सरकार के पास सभी स्टेट से जीएसटी का 50% तो आना ही हैं क्योंकि केन्द्रीय सरकार के अंदर सभी राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश आता हैं सभी को आसान बनाने के लिए यह अलग अलग नाम रखा गया हैं ।

अब आपके मन में एक सवाल आ रहा होगा IGST मैं जिस राज्य पर सामान बन रहा है उन राज्य को तो पैसा नहीं मिल रहा है तो उनका फायदा क्या है? यह नीचे से समझे:
IGST मैं जिस स्टेट पर सामान बनता हैं उसी स्टेट पर लोगों को काम मिलता हैं और दूसरा स्टेट मैं सामान सेल हो रहा हैं उस स्टेट को टैक्स मिल गया, दोनों राज्य का फायदा हुआ ना।

जितना भी जीएसटी के नाम हैं बह आपको बार बार नहीं देना हैं, जो सामान के साथ लगकर आता हैं आपको बही पे करना होता हैं, यह सारा जीएसटी के नाम से सरकार को अपना हिसाब निकलने में आसानी होता हैं।

जितना भी सेलर हैं उनको एक जीएसटी नंबर दिया जाता हैं जिसे GSTIN कहते है, ताकि किसी एक जीएसटी नंबर से किसी प्रोडक्ट का बिल मैं जीएसटी लग गया है तो फिर से उस प्रोडक्ट पर जीएसटी लागू ना हों।

अब तो आपको जीएसटी क्या है इसका पूरा अनुमान लगा चुके है, लेकिन आप यह भी जान ले कि जीएसटी आने से पहले पहले 28 राज्य पर 28 तरह के टैक्स के नियम थे, जिस स्टेट पर टैक्स कम था उसी स्टेट पर ज्यादा फायदा ग्राहक को होता था और जिस स्टेट पर टैक्स ज्यादा उसी स्टेट पर ग्राहक को फायदा कम होता था।

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जीएसटी नंबर किसको लेना जरूरी है?

जीएसटी नंबर इन 3 कैटेगरी के लोगों को लेने की जरूरी हैं, जो नीचे मैंने आपको विस्तार से बताया हूं:

जीएसटी नियम के अंदर अगर आपका कूल कारोबार 40 लाख से कम होता हैं जो एक साल के अप्रैल महीने से दूसरे साल के मार्च महीने तक तो आपको जीएसटी नंबर लेने की कोई जरूरत नहीं हैं ।

दुकानदार के लिए जीएसटी नियम अगर आप एक स्टेट से किसी दूसरे स्टेट मैं सामान को बेच रहे हैं तो उनके लिए भी जीएसटी नंबर लेना जरूरी है।

और अगर आप ईकॉमर्स वेबसाइट जैसे Flipkart, Amazon, Swiggy और Zomato जैसे जगह पर अपना कुछ भी सेल कर रहे है या इनको चला रहे हैं तो भी आपको जीएसटी नंबर लेने की जरूरत हैं, इसमें आपका इनकम नहीं देखा जाता हैं आपका सभी सेल के ऊपर जीएसटी लगता है।

लेकिन अगर आप फ्रीलांसिंग के काम कर रहे है तो आपके लिए 20 लाख से ऊपर सालाना इनकम होने पर आपको जीएसटी रजिस्ट्रेशन करना जरूरी है, फ्रीलांसिंग का काम Service (सेवा) के अंदर आता है।

लेकिन पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों जैसे असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, आदि और कुछ विशेष राज्यों में यह सीमा सेवाओं के लिए ₹10 लाख रखी गई है, और वस्तु के लिए ₹20 लाख रखी गई है।

आपकी जानकारी के लिए बता दु की बहुत सारी लोग सरकार को टैक्स नहीं देते हैं, सरकार को टैक्स ना देना भी एक अपराध हैं इससे आपको जेल और फाइन भी लग सकती हैं।

Input GST और Output GST क्या है?

इनपुट जीएसटी मतलब पहले लगाई गई जीएसटी का परिमाण और आउटपुट जीएसटी मतलब हैं एक ही सामान पर फिर से लगाया हुआ जीएसटी का परिमाण ।

इनपुट और आउटपुट जीएसटी का उदाहरण से समझे मान लीजिए आपने किसी 100 रुपये के सामान को 10% Gst के साथ 110 रुपये मैं खरीदा हैं, और जब आप आउटपुट मैं उसी सामान को लाभ के साथ 150 से बेचे हैं तो उस पर जो 10% का जीएसटी और लगा कर 165 रुपये होता हैं।

तो अब उस सामान का जो रेट है उसमें तो ज्यादा जीएसटी लग गया हैं एक ही सामान पर दूँ बार जीएसटी देना पड़ रहा हैं, तो सरकार बोले हैं की जैसे जैसे पुराना सामान का रेट बढ़ता हैं उसमें जो पुराना जीएसटी लगा हैं 10 रुपये का उसको घटा के 10% ही देना हैं तो आपको टोटल 15 रुपये ही सरकार को जीएसटी देना हैं यही आउटपुट जीएसटी हैं ।

इसके लिए आपके जीएसटी नंबर में यह दिखाना चाहिए कि जिससे अपने सामान लिया है उसको आप पहले ही 10% का जीएसटी दे चुके हैं, और अब जब आप अपने जीएसटी जमा करेंगे तो आपका पहले दिया हुआ जीएसटी का आप ITC (इनपुट टैक्स क्रेडिट) ले सकते हैं।

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GstIn और Gstn मैं क्या अंतर है?

आपको तो पता ही हैं की पेन कार्ड टैक्स के लिए बनाया जाता हैं, जो जीएसटी नंबर आता हैं उसमें यह पेन कार्ड नंबर मिडिल मैं रहता हैं, आप अपना पेन कार्ड के बिना जीएसटी नंबर के लिए आवेदन नहीं कर सकते।

GstIn का मतलब हैं आइडेंटिफिकेशन नंबर आप जब अपना जीएसटी नंबर के लिए अप्लाई करेंगे तो आपको 15 अंक का एक जीएसटी नंबर दिया जाएगा जिसमें पहला 2 अंक स्टेट का कोड, बीच के 10 अंक आपका पेन कार्ड नंबर रहेगा और शेष का 3 नंबर कंप्यूटर जनरेट करती हैं ।

और यह सभी जीएसटी नंबर GSTN (Goods And Services Tax Network) इश्यू कर बाते हैं, आपको अगर अपना जीएसटी नंबर लेना हैं तो आपको जीएसटी पोर्टल मैं जाकर अपना एड्रेस और बाकी सभी डिटेल डाल कर जमा करना पड़ेगा, तो आपको एक सप्ताह के अंदर आपका जीएसटी नंबर मिल जाएगा ।  

Gstn के पास ही आपका सब हिसाब और डिटेल है, आपका पैसा कहा गया हैं Cgst, Sgst, Igst, Utgst यह सब मैनेज करते हैं, GstIn मतलब आपका जीएसटी नंबर और Gstn मतलब जीएसटी नेटवर्क जो यह सब संभालते हैं।

जीएसटी मैं कोई गड़बड़ हो जाए या कोई जीएसटी नियम में कुछ बदलाव करना हैं तो GSTC के पास जाता हैं (Goods And Service Tax Council), GSTC मैं कूल 33 सदस्य हैं 1 वित्त मंत्री जो अब Nirmala Sitharaman जी हैं वह हेड हैं, 1 केंद्रीय राज्य मंत्री, 28 राज्य के 28 वित्त मंत्री और 3 केंद्र शासित प्रदेश जिनके पास विधानसभा चुनाव होता हैं उनका 3 वित्त मंत्री कूल मिला के 33 लोग होता है।

यह 33 लोग जीएसटी काउंसिल में बातचीत करते हैं की जीएसटी के कानूनों, नियमों और रेट को कम किया जाए की ज्यादा किया जाए।

जीएसटी रिटर्न क्या है?

जीएसटी रिटर्न मैं जब कोई कस्टमर किसी सामान को खरीदने पर जो जीएसटी बनता हैं तो बह पैसा जीएसटी सेलर के पास रह जाता हैं, और जब सेलर सरकार को बह सामान का जीएसटी जमा करता हैं तब बह होता हैं जीएसटी रिटर्न।

जीएसटी सेलर को कितना बार देना होता हैं? जीएसटी रिटर्न फाइल हर महीने में या तीन महीने में एक बार सेलर सरकार को जीएसटी रिटर्न करना होता हैं, इसको शॉर्ट मैं GSTR कहा जाता हैं, जीएसटी रिटर्न का मतलब हैं जो टैक्स सेलर के पास हैं बह सरकार के पास जमा करना।

जीएसटी के बारे मैं कुछ अधिक जानकारी

  1. आपको बात दूँ की 1954 मैं फ्रांस ने सबसे पहले जीएसटी को अपने देश मैं लागू किया था।
  2. हम जो जीएसटी रूल को फॉलो करते हैं वह कनाडा का हैं।
  3. जीएसटी रिटर्न मैं कूल 17 प्रकार के इनडायरेक्ट टैक्स को शामिल किया गया हैं।
  4. जीएसटी रिटर्न ना भरने पर किसी की जेल और फाइन भी हो सकती हैं।
  5. हमारे पुराने राष्ट्रपति ने 8 सितंबर 2016 को जीएसटी के लिए साइन किया था।
  6. जीएसटी भारत मैं 1 जुलाई 2017 को पूरा देश के लिए लागू हुआ था।
  7. जीएसटी चार प्रकार के हैं लेकिन आपको एक सामान पर एक ही बार जीएसटी देना होता हैं।
  8. 40 लाख से ऊपर Business हैं तो जीएसटी देना हैं और पहाड़ी इलाका के लिए यह 20 लाख हैं ।
  9. जीएसटी के बाद सभी स्टेट पर समान टैक्स, और सभी स्टेट पर जीएसटी का समान कानून बना है।

एक जैसा टैक्स होने के वजह से अब लोग अपने नजदीकी राज्य पर किसी महंगी सामान खरीदने नहीं जाता है ताकि कम टैक्स देना पढ़ें, वैसे ही किसी सामान बेचने के लिए दूसरा राज्य में रजिस्टर ही नहीं करता टैक्स कम देने के लिए।

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निष्कर्ष: जीएसटी के बारे मैं

टैक्स लेना सरकार का अधिकार हैं और सरकार के पास जितना भी पैसा हैं वह हमारा टैक्स से ही आता हैं, और ऑनलाइन सामान बेचने के लिए जीएसटी नंबर लेना अनिवार्य है चाहे आप 1 रुपए का भी सेल क्यों ना करें।

में उम्मीद करता हूं की आपको Gst Kya Hai और जीएसटी से संबंधित काफी सारी सवाल का जवाब मिला है, अभी भी आपका मन में कोई संदेह बचा है तो आप हमें कमेंट में पूछे मैं जल्दी आपका सवाल का जवाब दूंगा।

और यह पोस्ट जीएसटी के बारे में अपने दोस्त और सोशल मीडिया पर शेयर कर उनको भी जानकारी लेने का मौका दे।

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