सरकार जीएसटी लाने से जैसे बहुत लोगों को फायदा हुआ वैसे ही जीएसटी का नुकसान बहुत लोगों को उठाना पड़ा है, आज इस पोस्ट में हम विस्तार से बात करेंगे की जीएसटी के नुकसान पर कैसे हुआ लोगो पर असर।
जीएसटी आने से सबसे ज्यादा कंपनियों का काम बढ़ गया है नया टैक्स नियम के वजह से, और बहुत सारी छोटा बिजनेस करने वालों के लिए नया जीएसटी कानून और इसका हिसाब समझना मुश्किल हो गया है, और कही जगह पर देखा गया है कि टैक्स का रेट भी ज्यादा हो गया है।
नया जीएसटी को अपने हिसाब से जमा करना ऑनलाइन सरकार के पास, इसके वजह से जिनके पास पढ़ाई और ऑनलाइन की ज्यादा समझ नहीं है उनके लिए बहुत दिक्कत हुआ है, सभी विस्तार से हम नीचे बात करेंगे इसीलिए आप इस पोस्ट को लास्ट तक पढ़ें।
हमारे भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) को 1 जुलाई 2017 को एक देश, एक बाजार और एक ही जैसा टैक्स के मकसद के साथ लागू किया गया था, तब जीएसटी के कई फायदे बताए गए थे और अब तक बहुत सारा फायदा भी हुआ है।
लेकिन जीएसटी के वजह से बहुत कुछ नुकसान भी देश के लोगों को हुआ हैं और कुछ वर्ग को ज्यादा प्रभावित किया है, जो आज इस नुकसान के बात होना बंद हो गया है, इसीलिए आज हम इस पोस्ट के मदद से उन नुकसानों और उनसे प्रभावित लोगों के बारे में बात करेंगे।
इस पोस्ट में क्या क्या है?
जीएसटी लाने से हुए नुकसान और उनसे प्रभावित वर्ग के बारे में
जीएसटी के नुकसान हम एक एक कर आपको बताएंगे सबसे ज्यादा छोटे व्यवसाय (MSME या SMEs) और स्टार्टअप्स को हुआ हैं।
नियमों का पालन का बोझ:- जीएसटी में कई सारी रिटर्न जमा करने होते है और सटीक समय पर जमा करना जरूरी है, कुछ छोटे व्यवसायों के लिए ज्यादातर उन लोगों के लिए जिनके पास पढ़ाई लिखाई कम है उनके लिए यह काम मुश्किल हो गया है और इसलिए खर्चा भी ज्यादा लगती है।
कठिन टैक्स नियम के कारण:- जीएसटी में कहीं सारी कर दरें और नियम शामिल हैं, जो छोटे छोटे व्यवसायों करने वाले लोगों के लिए, किसी जानकारी वाला इंसान के सहायता के बिना समझना और उसे अपने ऊपर लागू करना मुश्किल हो गया हैं।
सॉफ्टवेयर खरीदने और सीखने में खर्चा:- जीएसटी के जैसा काम करने वाले ERP जैसे सॉफ्टवेयर खरीदने, उसे समझने और इस्तेमाल करने में छोटे व्यवसायों को काफी ज्यादा खर्च करना पड़ा है, जो इनके के लिए बिल्कुल नया है, साथ में उनके कर्मचारियों को इन नए सिस्टम के बारे में समझाने और सीखाने में कुछ खर्चा हुआ है।
जीएसटी रजिस्टर कराना:- जिन जिन कंपनियों का बिजनेस कही सारी राज्यों में है, उन्हें उन सभी राज्यों में रजिस्टर कराना होता है, जिससे उनके लिए यह प्रक्रिया और और काम कठिन हो गई है।
इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा ना कर पाना (कंपोजिशन स्कीम के तहत):- छोटे और मध्यम उद्यम (SMEs) कंपोजिशन स्कीम का विकल्प चुन सकते हैं, जिसमें उन्हें अपने अपने पूरे टर्नओवर पर केवल एक निश्चित प्रतिशत ही टैक्स देना होता है, लेकिन वे इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दावा नहीं कर पाते हैं, जिससे उनके लिए लागत बढ़ सकती है।
कुल मिलाकर जिनके पास जानकारी नहीं है वह तो जीएसटी का हिसाब और जमा खुद नहीं कर सकते बल्कि उन्हें एक CA की जरूरत होती है नहीं तो अगर वह लोग खुद इन ERP सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते है तो इनसे उनका खर्चा बढ़ गया है।
दूसरा जीएसटी का कुछ नुकसान आम आदमी को हुआ है जो हम और आप लोग हैं, हमारा इस जीएसटी से कोई लेना देना नहीं है हमें सिर्फ काम पर जाना है शाम तक पैसा लेना है और सामान लेकर घर पहुंचना है, लेकिन इसके अंदर भी कुछ बदलाव हुए हैं जो नीचे आपको बताया हूं।
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कुछ वस्तुओं और सेवाओं का कीमत बढ़ा है:
भारत में जीएसटी लागू होने के बाद से कुछ उत्पादों और सेवाओं पर टैक्स के दरें बढ़ गई हैं, जिससे कुछ सामान का दाम महंगे हो गए हैं, अब इस पॉइंट को हम उदाहरण से आपको बताएंगे:
वित्तीय सेवाएं: बैंकिंग और कुछ वित्त सेवाएं (जैसे फंड ट्रांसफर) थोड़ी महंगी हो गई हैं, क्योंकि इन पर पहले 15% की तुलना में अब 18% जीएसटी लगता है।
दवाएं: कई जरूरी दवाओं पर पहले 5% के आसपास टैक्स लगता था, जो अब जीएसटी के 5% के स्लैब और इससे ज्यादा होने से थोड़ी महंगी हो गई हैं।
रेस्तरां: एसी वाले रेस्तरां मतलब (Restaurant) या बार में खाने पीने का खर्च थोड़ा बढ़ गया है (18% या 28% जीएसटी) अब लगता है।
रियल एस्टेट: जीएसटी आने के कारण नए घरों की लागत में 8% तक की वृद्धि देखी गई है, जिससे मांग में लगभग 12% की कमी आई है, लेकिन अब यह आम हो गया है।
दिव्यांगों के लिए जरूरी सामान: व्हीलचेयर, श्रवण यंत्र, ब्रेल पेपर जैसे कुछ सामान अब जीएसटी के दायरे में आ गए हैं, जिससे दिव्यांग लोगों के लिए ये थोड़ा महंगे हो गए हैं।
शुरुआती मुद्रास्फीति: जीएसटी के लागू होने के शुरुआती दौर में कुछ वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी देखा गया है, लेकिन समय के साथ साथ यह सामान्य हो गई है।
मुनाफाखोरी: यदि कोई विक्रेता जीएसटी का लाभ आम जनता तक नहीं पहुंचाते और अपना लाभ मार्जिन बढ़ा लेते हैं तो वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं, लेकिन सरकार इन मुनाफा खोरी की कामों पर कड़ी निगरानी रख रही है।
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जीएसटी से कुछ राज्य सरकार का नुक्सान हुआ है
राजस्व का नुकसान और मुआवजे पर निर्भरता: जीएसटी लागू होने के बाद सभी राज्य सरकार को कई तरह के अपने टैक्स (जैसे वैट और मनोरंजन कर) छोड़ने पड़े है, जिससे उन्हें बहुत राजस्व का नुकसान हुआ है।
लेकिन केंद्र सरकार ने भी शुरुआती के 5 साल के लिए राज्यों को इस नुकसान की भरपाई के लिए जीएसटी मुआवजा देने का वादा किया था।
हालांकि इस मुआवजे को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच कई बार विवाद और बयानबाजी देखने को मिली है, खासकर जब यह मुआवजा व्यवस्था समाप्त होने वाली थी, कुछ राज्यों (जैसे पुडुचेरी, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश) को सबसे ज्यादा राजस्व अंतर का सामना करना पड़ा था।
वित्तीय संघवाद पर प्रभाव: कुछ राज्यों ने जीएसटी परिषद पर राजनीतिक भावना से काम करने और उनकी आवाज न सुनने का आरोप लगाया है, जिससे केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संघवाद में तनाव आया था।
और कुछ विशिष्ट क्षेत्र में जीएसटी के नुकसान
कपड़ा, मीडिया, फार्मा, डेयरी उत्पाद, आईटी और टेलीकॉम: इन क्षेत्रों पर उच्च कर का सामना करना पड़ा है, क्योंकि जीएसटी लागू होने के बाद इन पर टैक्स बढ़ गया है।
बैंकिंग क्षेत्र: जीएसटी के लागू होने के बाद बैंकिंग क्षेत्र की सेवाएं महंगी हो गई हैं।
ई-कॉमर्स कंपनियां: ई-कॉमर्स कंपनियों को जीएसटी के लिए स्रोत पर एकत्र किए गए टैक्स (TCS) का जिम्मेदारी लेना पड़ रहा है।
ई-कॉमर्स सेलिंग: जीएसटी आने के बाद से कोई भी ऑनलाइन सेलिंग करने वाले लोगों के लिए जीएसटी नंबर लेना बहुत जरूरी है, नहीं तो वह ऑनलाइन सेल नहीं कर पाएंगे।
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संक्षेप में, जीएसटी के प्रमुख नुकसान:
- नियम पालन का बढ़ा हुआ बोझ और कठिन नियम: खासकर छोटे व्यवसायों के लिए।
- सॉफ्टवेयर और ट्रेनिंग में शुरुआती खर्चा: व्यवसायों के लिए।
- कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर बढ़ी हुई दाम: आम जनता के लिए।
- राज्य सरकारों के लिए राजस्व का नुकसान और मुआवजे पर निर्भरता: जिससे वित्तीय संघवाद पर असर पड़ा।
- शुरुआती में तकनीकी समस्याएं: जीएसटी पोर्टल में रिटर्न फाइल करने या भुगतान करने में देरी और परेशानी का सामना करना पड़ा।
निष्कर्ष: जीएसटी आने से नुकसान के बारे में
जैसे हर चीज का लाभ और नुकसान होता है वैसे ही जीएसटी के लाभ और हानि बहुत सारे है, इस पोस्ट में सिर्फ हमने जीएसटी के लाने से नुकसान के बारे में बात की है जैसे (जीएसटी आने से नुकसान कैसे हुआ और किन को हुआ), नीचे हमने जीएसटी पोस्ट का लिंक दिया है उस पोस्ट से आप जीएसटी क्या है और जीएसटी के फायदे को समझ जाएंगे।
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कुछ में आपको बता देता हूं, यह ध्यान रखना आपको जरूरी है कि जीएसटी लाने का उद्देश्य “एक राष्ट्र, एक बाजार और एक कर” करना था किसी भेद भाव के बिना, इसके माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था को एक जगह करना था, और कर आधार को सरल बनाना था जिससे व्यापार करने में और आसानी हो जाए।
इन्हीं कुछ नुकसानों के बावजूद, जीएसटी ने अपना काम करा है जो व्यापार बढ़ाने और अलग अलग अप्रत्यक्ष कर के कैस्केडिंग प्रभाव (मतलब टैक्स पर टैक्स) को कम करने में मदद की है, सरकार इन नुकसानों को कम करने और जीएसटी प्रणाली को और ज्यादा आसान बनाने के लिए लगातार इसे सुधारने पर काम कर रही है।
जीएसटी में बहुत सारी दिक्कत और परेशानी के बावजूद अब थोड़ा राहत लोगों को मिली है, जीएसटी तो 2017 में आया लेकिन आज 2025-2026 में लोगों को ज्यादा समझ और इसपर काम कर रहे हे धीरे धीरे अब यह जीएसटी का चैप्टर लोगो के लिए आम और सरल होता जा रहा है।
और एक चीज इसे आप जीएसटी आने से नुकसान आप नहीं कह सकते, लेकिन कुछ लोगों के लिए हुआ हे, जैसे पहले जो लोग टैक्स को चोरी करने में माहिर थे आज वह लोग टैक्स के नया नियम टीडीएस और जीएसटी के वजह से अपना इनकम छुपा नहीं पा रहा है और टैक्स भरना पड़ रहा है सरकार को।
टीडीएस के पूरे जानकारी आप इस नीचे के पोस्ट से समझे:- TDS क्या है? जानें क्यों कटता है आपका पैसा और कैसे पाएं रिफंड, फॉर्म 26AS
में उम्मीद करता हू कि जीएसटी आने से क्या नुकसान हुआ है? इसके सभी बात को आपने समझ लिया है, अपने दोस्त और सोशल मीडिया पर इस पोस्ट को शेयर कर उनको भी जानकारी लेने का मौका दे।