डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स में क्या अंतर है? जानें सरल भाषा में उदाहरणों के साथ

हमारे भारत देश के अन्दर डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स में अंतर हर भारतीय नागरिक और व्यवसायी को समझना बहुत ही जरूरी है, देखिए प्रत्यक्ष कर को इंग्लिश में Direct Tax कहते हैं और अप्रत्यक्ष कर को इंग्लिश में Indirect Tax कहते हैं।

इन दोनों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर से ही हमारे देश की अर्थव्यवस्था बनी रहती आई है सदियों से, और हमारे टैक्स से ही देश की अर्थव्यवस्था पर अच्छा प्रभाव डालते हैं।

ऐसे में आप, हम, आम लोग, छात्र, छोटे व्यवसायी, नए उद्यमी, और कोई भी हो सबके लिए भारत की कर व्यवस्था को समझना बहुत ही जरूरी है।

टैक्स क्या है? संक्षेप में

टैक्स क्या है यह तो आपको पता ही होगा फिर भी में संक्षेप में आपको बता देता हु ताकि आपको बाकी चीज को समझने में आसानी हो।

सरकार क्यों टैक्स लेती हैं? सरकार देश चलाने, विकास और सेवाएं प्रदान करने के लिए हमसे टैक्स लेता है, हमारे भारत में या किसी भी देश में टैक्स सिस्टम से ही देश की उन्नति और फ्री सेवाएं प्रदान की जाती है।

टैक्स या कर यह वो पैसा है जो सरकार देश के नागरिकों और व्यवसायों से लेती है, सरकार इस पैसे का इस्तेमाल देश चलाने, सड़कें बनाने, स्कूल, अस्पताल जैसी सुविधाएं देने, सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने और गरीबी हटाने ऐसे कई कामों में लगती है।

इन सब के कारण सरकार हमसे टैक्स लेती है और टैक्स देना हर एक जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य है और टैक्स ही किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी होता है, अब हम डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स के बारे में बात करते हैं।

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डायरेक्ट टैक्स (प्रत्यक्ष कर) क्या है?

डायरेक्ट टैक्स (प्रत्यक्ष कर): यह वह टैक्स है जो किसी व्यक्ति या संस्था पर लगाया जाता है जो खुद इनकम करता है या किसी संपत्ति का मालिक होता है, यह लोग किसी और के जरिए टैक्स सरकार को नहीं देते है।

डायरेक्ट टैक्स में जिसका टैक्स बनता है यह सीधा उसी व्यक्ति पर पड़ता है और वह खुद इसे चुकाते है, मतलब सरकार ने अगर आप पर टैक्स लगाया है, तो आपको ही वह टैक्स सरकार को देना होगा।

डायरेक्ट टैक्स में टैक्स ट्रांसफर नहीं होता, जैसे जीएसटी में होता, इसमें करदाता खुद टैक्स को जमा करता है और सरकार मतलब इनकम टैक्स विभाग इसे कलेक्शन करते है।

इसका नेचर हमेशा प्रगतिशील होते हैं मतलब जिसका इनकम जितनी ज़्यादा होती है उनको टैक्स भी ज़्यादा प्रतिशत देना पड़ता है।

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डायरेक्ट टैक्स का कुछ मुख्य उदाहरण:

  1. आयकर (Income Tax): जैसे सैलरी, बिज़नेस प्रॉफिट, कैपिटल गेन आदि से इनकम करते है उनको उनकी इस कमाई पर टैक्स देना होता है।
  2. कॉर्पोरेट टैक्स (Corporate Tax): यह टैक्स कंपनियों के मुनाफे पर लगाया जाता है।
  3. संपत्ति कर (Property Tax): इसमें संपत्ति के मालिक होने पर लगता है जैसे खुद का घर या जमीन के मालिक होने पर लगता है, लेकिन इसमें ज़्यादातर स्थानीय लोग होते है।
  4. पुराना वेल्थ टैक्स: जो अब यह लागू नहीं होते है, लेकिन इसका मतलब की पहले यह डायरेक्ट टैक्स था।

इनडायरेक्ट टैक्स (अप्रत्यक्ष कर) क्या है?

इनडायरेक्ट टैक्स (अप्रत्यक्ष कर) यह टैक्स आपकी इनकम पर नहीं लगता यह किसी वस्तुओं और सेवाओं के खरीदारी पर लगता है, यह टैक्स पैसा का विक्रेता सीधा खरीदारों पर लगा देते हैं, जिसे जीएसटी भी कहते है।

इनडायरेक्ट टैक्स में अंतिम उपभोक्ता टैक्स को पे करते है और वस्तुओं और सेवा देने वाला आपसे टैक्स लेके सरकार को जमा करते है, इन सब इनडायरेक्ट टैक्स आप और हम लोग ही देते है जो सबको पता नहीं होता है।

जैसे आपने एक मोबाइल खरीदा ऑनलाइन या दुकान से तो मोबाइल में जीएसटी 18% लगता है, अगर आपने 20,000 का फोन खरीदा तो उस बीस हजार में 18% जीएसटी लगा हुआ रहता है।

और जैसे हम किसी घर का सामान दुकान से लेते है तो उसमें भी पहले से ही टैक्स का पैसा लगा हुआ रहता है, दूसरे बार आप साबुन कोलगेट या कुछ भी खरीदने जाए तो उसके रेट के सामने देखें इंक्लूड ऑल टैक्स लिखा होगा, मतलब इसके साथ टैक्स लगा हुआ हैं, ऐसे सभी चीज पर हम सरकार को इनडायरेक्ट टैक्स देते है।

इसमें सामान बेचने वाला टैक्स लोगों वसूलता है और उसे सरकार के पास जमा करता है, इसीलिए यह टैक्स अंतिम लोग देते है मतलब जो इस सामान को इस्तेमाल करने वाला है, क्योंकि यह टैक्स वस्तु या सेवा की कीमत में लगा हुआ होता है इसे ही तो जीएसटी कहते है।

इस टैक्स का संग्रहण विक्रेता जैसे दुकानदारों या कंपनि के ज़रिए सरकार इसे वसूलती है, वस्तु या सेवा में हर चीज आता है राशन से लेकर होटल तक, आप ऊपर के जीएसटी पोस्ट से इन को समझ जाएंगे।

इस इनडायरेक्ट टैक्स में अमीर और गरीब दोनों ही मामले में एक ही वस्तु या सेवा पर समान दर से टैक्स देते हैं, मतलब अनजाने में गरीबों पर इस टैक्स का बोझ ज्यादा पड़ता है, जीएसटी में 5% से लेकर 28% तक टैक्स होता है सामान के हिसाब से।

एक उदाहरण से समझे: अब मान लीजिए किसी आइटम पर टैक्स नहीं लगा होता तो वह सामान सस्ता हो जाता, जैस साबुन पर 18% जीएसटी लगता है तो, आपको अगर 100 रुपए का साबुन बिना जीएसटी के मिलता तो वह साबुन का रेट 82 रुपए होता ऐसे ही हर एक समान का अलग अलग टैक्स रेट है।

और थोड़ा इनडायरेक्ट टैक्स को कुछ मुख्य उदाहरण से समझे, जीएसटी भारत में सबसे बड़ा अप्रत्यक्ष कर है इससे टैक्स की चोरी नहीं होती क्योंकि सामान के साथ ही टैक्स लगा रहता है, साल 2017 से पहले हमारे भारत में कई टैक्स थे सर्विस टैक्स, एक्साइज ड्यूटी, VAT।

  1. सीमा शुल्क (Customs Duty): यह वह टैक्स है जब कोई सामान बाहर देश से हमारे देश पर आता है उन वस्तुओं पर सीमा शुल्क लगता है।
  2. एक्साइज ड्यूटी (Excise Duty): यह टैक्स कुछ वस्तुओं के उत्पादन पर लगती है लेकिन इनका टैक्स जीएसटी में शामिल नहीं हैं, जैसे पेट्रोलियम उत्पाद (पेट्रोल, डीजल और शराब)।

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डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स में मुख्य अंतर (छोटा सा टेबल)

मैने एक छोटा टेबल बनाएं जो डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स दोनों के बीच के सभी अंतर को आपके सामने स्पष्ट रूप से समझा देगी।

विशेषताडायरेक्ट टैक्स (प्रत्यक्ष कर)इनडायरेक्ट टैक्स (अप्रत्यक्ष कर)
किस पर लगता हैव्यक्ति की इनकम,लाभ,संपत्ति परवस्तुओं और सेवाओं की खरीद और इस्तेमाल करने पर
कौन भुगतान करता हैसीधे सरकार को (करदाता द्वारा)अंतिम उपभोक्ता से टैक्स इकट्ठा कर सेलर सरकार को जमा करते हैं
टैक्स दूसरे के ऊपर डालनाइसमें संभव नहीं हैसंभव (विक्रेता से सामान लेने वाले पर)
उदाहरणआयकर (इनकम टैक्स), कॉर्पोरेट टैक्सGST, सीमा शुल्क, एक्साइज ड्यूटी
प्रकृतिप्रगतिशील (Progressive)प्रतिगामी (Regressive)
टैक्स संग्रहणCBDT मैनेज करता हैCBDT मैनेज करता है
टैक्स चोरीज़्यादा संभावना हैकम संभावना (क्योंकि कीमत में शामिल होता हैं)

भारत की अर्थव्यवस्था पर इनका प्रभाव

दोनों तरह के डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स भारत के  अर्थव्यवस्था के लिए बहुत मजबूत हिस्सा हैं, और जीएसटी आने से इनडायरेक्ट कर सिस्टम को आसान बनाया है और ‘कैस्केडिंग इफेक्ट’ को खत्म कर किया है।

डायरेक्ट टैक्स: यह ज्यादा तर अमीर लोग के ऊपर लगता है इससे सरकार को अच्छा पैसा जुटाने में मदद मिलती है जैसे फिल्म स्टार अपने अपने टैक्स सरकार को देते है, यह एक अनुमानित सीमा होता है फिर भी हर साल बढ़ती रहती है, क्योंकि पिछले साल से इस साल हर कोई ज्यादा पैसा कमाता है इसीलिए टैक्स भी ज्यादा होता है।

इनडायरेक्ट टैक्स: यह टैक्स अमीर और गरीब दोनों के ऊपर लगता है इससे भी सरकार को अच्छा पैसा मिलता है, और इससे टैक्स के चोरी नहीं होती है, जो हमने ऊपर बात किया था वस्तुओं और सेवाओं पर जो लगता है, यह गरीबों पर ज्यादा असर डालता है।

क्योंकि हर एक कुछ न कुछ खरीदता और इस्तेमाल करता रहता है, यह हमारे हर दिन के जरूरत के सामान में आते है लेकिन जीएसटी के आने से अप्रत्यक्ष कर के नियम आसान हो गया है।

निष्कर्ष: डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स के बारे में

कुल मिलाकर बता यह है कि दोनों प्रकार के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही जरूरी है, यह दोनों टैक्स एक साथ मिलकर देश के विकास में योगदान करते हैं, इसीलिए यह व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों लोगों के लिए समझना बहुत जरूरी है।

आसान भाषा में प्रत्यक्ष कर सीधे हमारी कमाई और संपत्ति पर लगते हैं, जबकि अप्रत्यक्ष कर हम जो चीजें खरीदते या सेवाएं लेते हैं उसपर लगते है, मैं उम्मीद करता हूं कि आपको डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स में क्या अंतर है? अच्छे से समझ में आई है।

क्योंकि इसे जानने से आप देश की टैक्स व्यवस्था को समझते हैं, और कौन सा टैक्स आप पर लागू हो रहा है जैसे हर एक समान के खरीद पर लगता है, इन सब बातों को ध्यान में रखने से आप देश के जागरूक नागरिक के अंदर जाने जाएंगे और अपना वित्तीय योजना भी अच्छे से बना सकते हैं।

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यह टैक्स के जानकारी अपने दोस्त के साथ और सोशल मीडिया पर इस पोस्ट को शेयर कर उनको भी जानकारी लेने का मौका दीजिए, ताकि वह भी जागरूक नागरिक बने।

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