अगर आप फ्रीलांसर हैं और जीएसटी रजिस्टर्ड क्लाइंट्स के लिए काम करते हैं, तो आपने कभी न कभी “RCM” यानी Reverse Charge Mechanism का नाम जरूर सुना होगा, लेकिन क्या यह सच में आपके लिए लागू होता है? और इसका क्या मतलब है? आज हम इसपर पूरा बात करेंगे।
RCM GST का एक ऐसा नियम है जिसमें टैक्स देने की जिम्मेदारी सर्विस देने वाले की जगह सर्विस लेने वाले पर होती है, लेकिन फ्रीलांसर के केस में यह कैसे लागू होता है, और किन हालातों में आपको इसके तहत जीएसटी देना पड़ सकता है, यही हम इस पोस्ट में विस्तार से समझेंगे।
जीएसटी सिस्टम में ज़्यादातर मामलों में टैक्स का भुगतान सप्लायर करता है, लेकिन कुछ खास परिस्थितियों में टैक्स का भुगतान कस्टमर या रिसीवर को करना पड़ता है, इसे ही Reverse Charge Mechanism (RCM) कहते हैं।
एक फ्रीलांसर के रूप में हो सकता है कुछ परिस्थितियों में आपको भी आरसीएम के तहत जीएसटी से डील करना पड़े, और और आरसीएम के मदद से कैसे आप टैक्स देनदारी से बाहर निकल सकते है आइए इसे विस्तार से समझते हैं।
Table of Contents
RCM (Reverse Charge Mechanism) क्या है?
आरसीएम का सीधा मतलब होता है कि टैक्स देने की ज़िम्मेदारी सप्लायर (आप) पर नहीं पढ़ने के बजाय ग्राहक (क्लाइंट) जिस को आप सेबा दे रहे है उन पर होती है।
एक उदाहरण से समझे: अगर आप एक जीएसटी देने वाला कंपनी में ग्राफिक डिज़ाइन का सर्विस दे रहे हैं, तो यहां पर आपका खुद का जीएसटी सरकार को देने के बदले कंपनी को खुद आपका जीएसटी जमा करना पड़ सकता है इसे ही सरल भाषा में आरसीएम कहा जाता है।
फ्रीलांसर को आरसीएम से क्या लेना देना है?
आम तौर पर जीएसटी में सर्विस प्रोवाइडर (यानी आप) को जीएसटी देना होता है, लेकिन आरसीएम में यह जिम्मेदारी सर्विस रिसीवर (यानी आपका क्लाइंट) पर चली जाती है।
फ्रीलांसर के लिए यह तब मायने रखता है जब:
- आपका क्लाइंट जीएसटी रजिस्टर्ड है और आरसीएम के तहत नोटिफाइड सर्विस ले रहा है।
- और आप किसी ऐसे सेक्टर में काम कर रहे हैं जहाँ आरसीएम नियम लागू हैं (जैसे कुछ इम्पोर्ट सर्विस केस, लीगल सर्विस, या सिक्योरिटी सर्विस)।
फ्रीलांसर में आमतौर पर सर्विस होते हैं जैसे कंटेंट राइटिंग, ग्राफिक डिज़ाइन, कोडिंग, डिजिटल मार्केटिंग आदि।
लेकिन अगर आपका क्लाइंट ऐसा है जिसे आरसीएम लागू करना है, तो जीएसटी का भुगतान क्लाइंट करेगा, और आपको इसके लिए इनवॉइस आरसीएम के नियम में बनाना होगा।
इस पोस्ट से जाने:- डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स में क्या अंतर है? जानें सरल भाषा में उदाहरणों के साथ
फ्रीलांसर के लिए आरसीएम कब लागू होता है?
आरसीएम हर सर्विस या फ्रीलांसर पर लागू नहीं होता, यह कुछ खास परिस्थितियों में ही लागू होता है यह भी आपको जानना जरूरी है।
जब आप जीएसटी में Unregistered फ्रीलांसर है मतलब जीएसटी नहीं देते हैं, और अगर आप जीएसटी रजिस्टर्ड क्लाइंट को सर्विस दे रहे हैं तब आरसीएम लागू होता है।
साथ में अगर सर्विस ऐसी कैटेगरी में आती है जो आरसीएम के अंतर्गत पहले ही नोटिफाई की गई हो (जैसे लीगल सर्विस, GTA सर्विस आदि) तब भी आरसीएम लागू होता हैं।
ध्यान रखे कि ज्यादातर डिजिटल सेवाओं या फ्रीलांस सर्विस देने पर आरसीएम लागू नहीं होता अगर आप पहले से ही जीएसटी में रजिस्टर्ड हैं।
RCM का असर आपके Tax Filing पर
अगर आपकी सर्विस पर आरसीएम लागू होता है तो नीचे दिए गए कुछ काम आपको करना है:
- आप जीएसटी इनवॉइस में “GST” नहीं जोड़ना है।
- लेकिन आपको यह बताना होगा कि यह ट्रांजैक्शन “RCM” के अंतर्गत आता है।
- और आपको GSTR-1 जमा करने के समय इसे “B2B-RCM” कैटेगरी में दिखाना होगा।
किन सेवाओं पर आरसीएम लागू होता है?
किन सेवाओं पर आरसीएम लागू होता है? में एक छोटा सा टेबल से आपको समझने के कोशिश करता हूं:
सेवा का प्रकार | RCM लागू? |
लीगल सर्विस | हां |
Goods Transport Agency (GTA) | हां |
फ्रीलांसर द्वारा डिजिटल काम (Unregistered) | कुछ मामलों में |
जीएसटी रजिस्टर्ड फ्रीलांसर | नहीं |
इनवॉइस बनाते समय क्या लिखें?
अगर आपकी सर्विस पर आरसीएम लागू है, तो इनवॉइस में ये लाइन जरूर लिखना है:
“GST Payable on Reverse Charge basis by the recipient under Section 9(3) of the CGST Act.”
क्या आपको जीएसटी रजिस्ट्रेशन करना चाहिए?
अगर आप आरसीएम की वजह से कन्फ्यूज में हैं और आपकी सालाना इनकम फ्रीलांसिंग से ₹20 लाख (या कुछ राज्यों में ₹10 लाख) से ऊपर है, तो जीएसटी रजिस्ट्रेशन करना आपके लिए सुरक्षित विकल्प है।
सरकार का यही बोलना है कि अगर आपका इनकम ₹20 लाख से ऊपर जाता है एक वित्तीय वर्ष के अंदर तो आपको GSTIN लेना चाहिए, आपके जानकारी के लिए बता दूं फ्रीलांसिंग के काम सेवाओं (Service) के अंदर आता है।
हमने जीएसटी के ऊपर एक विस्तार से पोस्ट लिखा है, जीएसटी को अच्छे से समझने के लिए यह पोस्ट पढ़े:- GST क्या है? जानें वस्तु एवं सेवा कर के 4 प्रकार (CGST, SGST, IGST, UTGST) और उनका मतलब
अगर आप भारत में क्लाइंट को सर्विस दे रहे हैं और आपका इनकम जीएसटी के अंदर आता है और बिल में जीएसटी लेना है तो जीएसटीआईएन के बिना आप जीएसटी रिटर्न फाइल नहीं कर पाएंगे, अगर आप विदेशी क्लाइंट को सर्विस खरीद रहे हैं तो आपको जीएसटीआईएन नहीं चाहिए।
आपको क्या करना चाहिए (Action Points):
अगर आपके सामने कभी ऐसा समय आए जब आप आरसीएम को चूस करते है या क्लाइंट आपसे टीडीएस कट करने के बारे में बोल रहे है तब आप क्या करें नीचे से समझें:
- क्लाइंट से पूछें कि क्या वह आरसीएम के तहत पेमेंट कर रहे हैं।
- हर इनवॉइस में स्पष्ट रूप से “RCM applicable” लिखें।
- अपनी GSTR रिपोर्ट में आरसीएम वाले इनवॉइस को अलग से दिखाएं।
इस पोस्ट से जाने:- TDS और GST दोनों कैसे संभालें? (फ्रीलांसर के लिए गाइड)
आरसीएम से कैसे बच सकते हैं फ्रीलांसर?
जब आप फ्रीलांसर के काम कर रहे तो कोशिश करें कि आप ऐसे सेक्टर में सर्विस दें जो आरसीएम के तहत नहीं आते है।
अगर आप टूल या सर्विस खरीद रहे हैं, तो आप ऐसे वेंडर चुनें जो पहले से जीएसटी चार्ज करता हो, ताकि आरसीएम की जिम्मेदारी आप पर न आए।
एग्रीमेंट में पहले ही बातचीत से क्लियर करें कि आरसीएम का पेमेंट क्लाइंट देगा।
हमेशा जीएसटी रजिस्टर्ड सप्लायर से ही सर्विस लें और इंटरनेशनल सर्विस लेने से पहले जीएसटी रूल्स जरूर चेक करें।
और जहां संभव हो अपने क्लाइंट से पहले ही कन्फर्म कर लें कि वह आप पर आरसीएम लागू करेगा या नहीं।
अगर Client RCM के तहत GST काटता है तो क्या करें?
कई बार क्लाइंट आपका इनवॉइस वैल्यू कम कर देता है यह कहकर कि जीएसटी उसने खुद भर दिया है (RCM के तहत) ऐसे में आपको कुछ काम करना है:
- अपने क्लाइंट से पक्का प्रूफ और पेमेंट रिसीट लें कि वह जीएसटी आरसीएम में जमा किया है।
- अपने इनवॉइस बनाने समय “Tax payable under Reverse Charge” का नोट जरूर मेंशन करें।
- आप टैक्स की राशि इनवॉइस में न जोड़ें, बल्कि क्लाइंट खुद अपने जीएसटी पोर्टल पर इसका भुगतान करेगा।
- अपने अकाउंटिंग रिकॉर्ड में आरसीएम वाली सर्विस को अलग हाइलाइट करें, ताकि साल के अंत में आपको कन्फ्यूजन न हो।
- और अपने अकाउंट में यह ट्रांजेक्शन का सही से रिकॉर्ड करें ताकि जीएसटी रिटर्न में सही रिपोर्ट हो।
इस पोस्ट से जाने:- कंपोजिशन स्कीम क्या है? छोटे व्यापारियों के लिए GST का यह आसान तरीका (फायदे, नुकसान, योग्यता)
कब फ्रीलांसर को RCM के तहत GST देना पड़ता है?
कुछ मामलों में फ्रीलांसर को सीधे तौर पर आरसीएम में जीएसटी देना पड़ता है यह भी जान लीजिए:
अगर आप किसी Unregistered GST Vendor से सर्विस लेते हैं और आप खुद जीएसटी में रजिस्टर्ड हैं, तो आपको आरसीएम के तहत जीएसटी देना पड़ेगा।
- आप विदेश से कोई सर्विस खरीदते हैं (जैसे प्रीमियम टूल, सॉफ्टवेयर, लाइसेंस) और आपका सप्लायर जीएसटी के अंदर नहीं आता।
- आप किसी आरसीएम-नोटिफाइड कैटेगरी में आते हैं और आपका क्लाइंट भारत के जीएसटी में रजिस्टर्ड नहीं है।
- इम्पोर्ट ऑफ सर्विस में हमेशा रिसीवर को जीएसटी देना पड़ सकता है, चाहे वह रजिस्टर्ड हो या न हो।
एक उदाहरण से समझे: अगर आपने अमेरिका से कोई डिजाइन टेम्पलेट खरीदा है, तो आपको उस पर IGST RCM के तहत देना होगा।
हो सकता है आपके क्लाइंट के बिजनेस नेचर के कारण आरसीएम जरूरी है, तो आपको आरसीएम इनवॉइस जारी करना होगा।
RCM और TDS का अंतर क्या है फ्रीलांसर के लिए?
ऊपर के दिए हुए पोस्ट से आप टीडीएस को समझ जाएंगे फिर भी आपको में थोड़ा सा टीडीएस के बारे में बता देता हूं एक टेबल के साथ ताकि आप RCM और TDS का अंतर को समझ सके:
बिंदु | RCM (Reverse Charge Mechanism) | TDS (Tax Deducted at Source) |
कौन टैक्स देता है | कस्टमर/रिसीवर (Client) GST देता है | आपके रिसीवर (Client) आपके पेमेंट से टैक्स को काटकर सरकार को देता है |
किसके तहत लागू होता है | GST पर लागू होता है | इनकम टैक्स एक्ट पर लागू होता हैं |
रेट | सर्विस के प्रकार पर निर्भर करता है (5% / 12% / 18%) | आमतौर पर 1% या 10% तक होता हैं |
इनवॉइस में बदलाव | आरसीएम में टैक्स अमाउंट नहीं जोड़ते | टीडीएस में इनवॉइस वही रहता है, बस पेमेंट से काटा जाता है |
पेमेंट का असर | आपका क्लाइंट जीएसटी भरता है, इनवॉइस वैल्यू पर असर पड़ सकता है | पेमेंट में कटौती होती है, साल के अंत में एडजस्ट होता है |
एक बात का आप ध्यान रखे आरसीएम और टीडीएस दोनों ही अलग अलग कानूनों के तहत आते हैं, लेकिन फ्रीलांसर के काम के लिए दोनों की जानकारी जरूरी है ताकि इनवॉइसिंग और टैक्स फाइलिंग आप सही से कर सके।
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2025 में फ्रीलांसर के लिए जीएसटी के नए नियम क्या हैं?
2025 में फ्रीलांसर के लिए जीएसटी के नए नियम में कुछ बदलाब हुए हैं और आगे भी शायद होने वाली है, इसका कुछ आइडिया में आपको देता हूं।
विदेश से मिलने वाले पेमेंट पर FEMA (Foreign Exchange Management Act) और जीएसटी कंप्लायंस के नियमों को पालन करने के लिए कई कदम उठाए हैं, मतलब अब निर्यात (export) से जुड़ी रिपोर्टिंग के नियम को ज्यादा सख्त कर दिया है।
जीएसटी पोर्टल में अब आरसीएम रिपोर्टिंग के लिए अलग सेक्शन जोड़ा गया है, खासकर अगर किसी अनरजिस्टर्ड सप्लायर से सेवा लेते हैं तो आरसीएम लेनदेन को GSTR-3B के ‘Table 3.1(d)’ में रिपोर्ट करना होता है।
ई-इनवॉइस का दायरा बढ़ा: अब कुछ खास सेक्टर्स में छोटे टर्नओवर पर भी ई-इनवॉइस जरूरी हो सकता है, सरकार इनका सीमा को कम कर रही है क्योंकि ज्यादा लोगों को सरकार टैक्स के नियम के अंदर लाना चाहता है।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के लिए रिपोर्टिंग: अब अपवर्क, फाइवर जैसी साइट्स के जरिए होने वाली कमाई को सरकार ट्रैक कर रही है, क्योंकि इससे ज्यादा टैक्स के चोरी होता है, इसीलिए इन पर भी टैक्स रिपोर्टिंग सख्त हुई है।
RCM लिस्ट अपडेट: सरकार समय समय पर आरसीएम के तहत आने वाली सेवाओं की लिस्ट अपडेट कर रही है, इसीलिए आपको इनपर नजर बनाए रखना चाहिए।
ऑनलाइन सर्विस प्रोवाइडर और गिग वर्कर्स के लिए नई कैटेगरी, सरकार भविष्य में इस सेक्टर को भी आरसीएम के दायरे में लाने पर विचार कर सकती है।
निष्कर्ष: फ्रीलांसर के लिए आरसीएम
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नया फ्रीलांसर के तौर पर आपको आरसीएम थोड़ा जटिल विषय लग सकता है, लेकिन सही जानकारी और क्लाइंट से संवाद के ज़रिए आप इसे आसानी से संभाल सकते हैं, अगर आपकी सर्विस आरसीएम के अंतर्गत आती है, तो आपको खुद जीएसटी नहीं देना पड़ता है ये जिम्मेदारी आपकी क्लाइंट की होती है।
आरसीएम फ्रीलांसर के लिए एक जरूरी नियम है, खासकर तब जब आप जीएसटी रजिस्टर्ड क्लाइंट्स के साथ काम कर रहे हों या विदेश से सर्विस खरीदते हों, अगर आप इन नियमो को पहले से ही समझ कर रखते है तो भविष्य में पेनल्टी और नोटिस से आसानी से बच सकते हैं।
में उम्मीद करता हू कि आरसीएम फ्रीलांसर के लिए कैसे काम करता है? इसके सभी तरीका को आपने समझ लिया है, अपने दोस्त और सोशल मीडिया पर इस पोस्ट को शेयर कर उनको भी जानकारी लेने का मौका दे।
अब इस पोस्ट को पढ़ें:- Income Tax क्या है? जाने सरकार क्यों हमसे टैक्स लेता है और इसकी क्या जरूरत है