में यह पोस्ट खासकर फ्रीलांसर के लिए बना रहा हु क्योंकि उनको जीएसटी और टीडीएस दोनों का सामना करना पड़ता है लेकिन दिक्कत यह होती है कि आपको कौनसा कटना है और आपका कौनसा कटता है।
चिंता न करें अगर आप नया फ्रीलांसर है और अगर आपके साथ ऐसा कुछ हुआ है तो आज आप इस पोस्ट के माध्यम से सब कुछ समझ जाएंगे।
इस पोस्ट में क्या क्या है?
परिचय: फ्रीलांसर को टैक्स की समझ क्यों जरूरी है?
अगर आप एक फ्रीलांसर हैं चाहे ग्राफिक डिज़ाइनर हों, कंटेंट राइटर, वेब डेवलपर या स्पॉन्सरशिप लेते है तो टैक्स से जुड़ी जिम्मेदारियों को नजरअंदाज नहीं कर सकते आपको टैक्स के बारे में समझना जरूरी है।
अक्सर फ्रीलांसर को TDS (टैक्स डिडक्शन ऐट सोर्स) और GST (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) दोनों का सामना करना पड़ता है, इस पोस्ट में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि दोनों को साथ में कैसे मैनेज करें ताकि आप बेझिझक अपने काम पर फोकस कर सकें।
अब आपको समझना है कि फ्रीलांसर की इनकम पर GST और TDS कैसे लगता है?, फ्रीलांसर की इनकम पर GST और TDS दोनों अलग अलग नियमों के तहत लगते हैं, एक फ्रीलांसर के रूप में इन दोनों को समझना आपके लिए बहुत ज़रूरी है ताकि आप अपने बिल सही से बना सके और टैक्स नियमों का पालन कर सके।
TDS क्या है और फ्रीलांसर पर कैसे लागू होता है?
टीडीएस का मतलब होता है (स्रोत पर कर कटौती) मतलब आपकी इनकम में से कुछ हिस्सा क्लाइंट पहले ही काटकर आपके नाम से सरकार को जमा कर देता है।
आमतौर पर फ्रीलांसर के लिए 10% टीडीएस दर रखा गया है, और आपका भी पेमेंट के 10% ही काटा जाएगा, अगर आपने क्लाइंट को अपना PAN Card दिया है, अगर नहीं दिया तो यह 20% काटा जाता है।
एक उदाहरण से समझें: अगर आपने क्लाइंट को ₹50,000 की सर्विस दी, तो क्लाइंट ₹5,000 काटकर ₹55,000 देगा और ₹5,000 सरकार को जमा करेगा।
टीडीएस असल में डायरेक्ट टैक्स होता है जो सीधा आपके इनकम से काटकर सरकार के पास रहती है इससे सरकार को हर किसी से पूरा साल भर टैक्स मिलता रहता है।
टीडीएस आपका क्लाइंट तभी आपसे काटेगा जब आपको पेमेंट करने वाला खुद एक करदाता (Taxpayer) हो मतलब वह अपना इनकम का टैक्स सरकार को देता है।
फ्रीलांस प्रोफेशनल फीस पर टीडीएस आमतौर पर आयकर अधिनियम की धारा 194J के तहत काटा जाता है, और वह आपसे तब टीडीएस काटेगा जब आपसे सालाना लेन देन ₹30,000 से ऊपर का हो।
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GST क्या है और यह फ्रीलांसर पर कब लागू होता है?
जीएसटी का मतलब होता है (वस्तु एवं सेवा कर) यह एक इनडायरेक्ट टैक्स होता है जो आप अपने ग्राहक से चार्ज करते हैं और सरकार को अपने इनकम का टैक्स जमा करते हैं।
फ्रीलांसर के लिए: असल में फ्रीलांसर के इनकम जीएसटी में सेवा (Service) के अंदर आता है, अगर आपकी सालाना इनकम ₹20 लाख (कुछ राज्यों में ₹10 लाख) इससे ज़्यादा है, तो आपको जीएसटी रजिस्ट्रेशन करना जरूरी है।
आम तौर पर फ्रीलांसर के सर्विस के लिए आपका क्लाइंट से आपको 18% जीएसटी चार्ज करना होता है, जो जीएसटी में रजिस्टर है।
एक उदाहरण से समझे: आप ₹50,000 की सर्विस अपने क्लाइंट को दिए है, तो आप उनसे ₹9,000 का जीएसटी जोड़कर ₹59,000 का इनवॉइस बनाना है।
क्या TDS और GST दोनों एक साथ लागू हो सकते हैं?
सरल सा जवाब है हां फ्रीलांसर को एक ही प्रोजेक्ट पर दोनों टैक्स का सामना करना पड़ सकता है, कुछ कारण में इसीलिए में इस पोस्ट जीएसटी और टीडीएस फ्रीलांसर के लिए खासकर बना रहा हूं।
जब आप अपने क्लाइंट को बिल बनकर देंगे तो आपको 18% जीएसटी के साथ बिल बनाना है, लेकिन जब क्लाइंट आपको पेमेंट करेगा तब वह टीडीएस काटकर ही पेमेंट करेगा।
एक उदाहरण से समझे: जैसे आपने इनवॉइस बनाया ₹50,000 + 18% GST = ₹59,000, तो आपका क्लाइंट 10% ₹59,000 – ₹5,000 टीडीएस काटकर आपको ₹54,000 का पेमेंट करेगा।
यह दोनों उदाहरण से आप समझ ही गए होंगे कि एक ही लेनदेन पर कैसे GST और TDS दोनों अलग अलग तरीके से काम करते हैं, और एक फ्रीलांसर के रूप में आपको यह दोनों जानकारी रखना बहुत ज़रूरी है।
आपका (फ्रीलांसर) का दायित्व:
आपने क्लाइंट से जो ₹9,000 का जीएसटी लिया है, वह आपको सरकार के पास जमा करना होगा।
आपका जो ₹5,000 टीडीएस कटा है, आप उसका क्रेडिट ले सकते है, अपने ITR फाइल करते समय इसे क्लेम कर सकते हैं।
आपका क्लाइंट जब ₹5,000 सरकार के पास जमा करेगी तब आपको एक टीडीएस सर्टिफिकेट (Form 16A) देगी, नहीं दिया तो आपको मांगना है, इसी Form 16A से आप ITR फाइल करते समय इस ₹5,000 का क्रेडिट क्लेम कर सकते हैं।
क्लाइंट का दायित्व:
आपके देने हुए पैसे से जो ₹5,000 का टीडीएस काटा है, उसे सरकार के पास जमा करना।
क्लाइंट ने आपको जो ₹9,000 का जीएसटी दिया है, वे उसका इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) क्लेम कर सकते हैं।
क्लाइंट और फ्रीलांसर आप दोनों के लिए: क्लाइंट आपसे तब टीडीएस काटेगा जब वह खुद अपना टैक्स सरकार को देता हो, और आप अपने फ्रीलांसिंग काम के लिए तब जीएसटी काट सकते है जब आप जीएसटी में रजिस्टर हो।
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दोनों टैक्स को साथ में कैसे मैनेज करें?
कुछ ऐसे आसान तरीका है जिससे आप इन दोनों टैक्स को आसानी से समझ और मैनेज कर सकते है।
- इनवॉइस में TDS और GST दोनों का ज़िक्र करें।
- TDS की रसीद (Form 16A) अपने क्लाइंट से लें।
- GST पोर्टल पर नियमित समय पर अपना रिटर्न भरें।
- TDS की डिटेल ITR में दिखाएं और Form 26AS से मैच करे।
टैक्स फाइलिंग के समय क्या ध्यान रखें?
अगर आप एक बार जीएसटी में रजिस्टर हो गए है तो कुछ बातें आपको हमेशा ध्यान रखना चाहिए:
- ITR भरते समय Form 26AS से TDS की डिटेल मिलती है कि नहीं चेक करें।
- GST Return GSTR-1 और GSTR-3B समय पर भरना जरूरी है।
- अगर दोनों ठीक से नहीं भरे गए, तो कुछ पेनल्टी लग सकती है, इसलिए पहले से ही सावधान रहें।
CA के बिना टैक्स कैसे संभालें?
ITR भरने के Income Tax का e Filing Portal का इस्तेमाल और इसके लिए भी कुछ साइट भी आते है जिनसे आप अपना आईटीआर भर सकते है आप ऑनलाइन सर्च करेंगे तो आपको मिल जाएगा।
GST Return भरने के लिए आप GST Portal का इस्तेमाल कर सकते हैं और इसके लिए भी ऐप्स आता है आप सर्च कर सकते है।
जब आप एक फ्रीलांसर के काम करते है तो आप सिस्टम और ऑनलाइन की समझ ज्यादा होगी, मेरा मानना है कि आप बिना सीए (CA) के भी यह काम कर सकते है, फिर भी आपको अगर इन सब झंझट में नहीं पड़ना है तो आप सीए का सहायता जरूर ले।
फ्रीलांसर द्वारा की जाने वाली सामान्य गलतियाँ
अनजाने में नया फ्रीलांसर कुछ गलती करते है जो आपको नहीं करना है, उसका लिस्ट में आपको नीचे दिया हूं:
- TDS और GST को एक जैसा समझ लेना।
- बिना GST रजिस्ट्रेशन के टैक्स चार्ज करना।
- TDS कटने पर फॉर्म 26AS न देखना।
- समय पर GST या ITR फाइल न करना।
- अपने क्लाइंट से Form 16A नहीं लेना।
बाहर देश से पैसे आने पर फ्रीलांसर के लिए जीएसटी नियम
में यह पॉइंट एक्स्ट्रा एड किया हु ताकि कोई भी सवाल छूटे ना, बाहर के क्लाइंट से पैसे आने पर आपको जीएसटी और टीडीएस दोनों का झंझट नहीं झेलना पड़ेगा।
अगर बाहर देश से आप पैसा कमा कर ला रहे है तो उन पैसे का आपको बिल्कुल टैक्स नहीं देना पड़ेगा लेकिन अगर आप ₹20 लाख से ऊपर देश और विदेश दोनों जगह से कमाकर ला रहे तो जीएसटी रजिस्ट्रेशन जरूरी है।
आपको भारत के लोगों से अपने काम का जीएसटी लेना है और उनको टीडीएस काटना है, इसमें आपको एक अनुमानित कराधान योजना 44ADA मिलते है जिसके मदद से आप अपना इनकम का 50% खर्चा में दिखा सकते है और 50% इनकम का टैक्स देना होता है।
इस पोस्ट से जाने:- फ्रीलांसरों के लिए ITR फाइलिंग: कौन सा फॉर्म चुनें और कैसे भरें? पूरी जानकारी
निष्कर्ष: फ्रीलांसर के लिए जीएसटी और टीडीएस
एक नया फ्रीलांसर के लिए TDS और GST दोनों को संभालना और समझना शुरुआती समय पर थोड़ा मुश्किल लग सकता है, लेकिन एक बार जब आपको समझमें आ जाने के बाद ये आसान हो जाएगा, इस पोस्ट में मैने सब कुछ कवर किया है इसीलिए आप इस पोस्ट के लिंक को संभाल कर रखे।
ताकि आपको बाद में काम आए अगर आप समय पर इनवॉइस, पेमेंट, टीडीएस और जीएसटी से जुड़ी डिटेल्स अपने पास रखेंगे तो ना सिर्फ आपके टैक्स की टेंशन कम होगी, बल्कि आपके प्रोफेशनल काम में भी ग्रोथ दिखेगा।
संक्षेप में आपकी क्लाइंट आपकी इनकम से (सर्विस फीस) पर TDS काटता है और आपको आपका बिल के साथ GST देता है, जिसे आपको आगे सरकार को जमा करना होता है, दोनों टैक्स एक ही लेनदेन पर अलग अलग तरीके से काम करते हैं।
हमेशा याद रखें कि टैक्स नियम पर हर साल कुछ ना कुछ बदलाव होते रहते हैं, इसीलिए हमेशा नवीनतम नियम की ओर ध्यान रखें, और आपको अगर टैक्स के विषय पर कोई भी परेशानी हो तो हमेशा एक अच्छे टैक्स सलाहकार (CA) से संपर्क करें, वह आपको सही सलाह देंगे।
में उम्मीद करता हू कि फ्रीलांसर के रूप में आपके काम में TDS और GST दोनों को अपने समझा है? जैसे इसके सभी तरीका और इसके गलती से बचने के सभी तरीका को आपने समझ लिया है, अपने दोस्त और सोशल मीडिया पर इस पोस्ट को शेयर कर उनको भी जानकारी लेने का मौका दे।
इस पोस्ट को भी पढ़ें:- TDS Return और Income Tax Return में क्या अंतर है? जानिए पूरी जानकारी
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
Q. क्या फ्रीलांसरों के लिए जीएसटी नंबर अनिवार्य है?
जी हां फ्रीलांसर के जीएसटी नंबर लेना तब जरूरी है जब आप ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करते हैं और जब आपका सालाना इनकम 20 लाख रुपये से अधिक हो जाता है।
Q. फ्रीलांसर के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन की सीमा 20 लाख है या 10 लाख?
फ्रीलांसर का काम सेवाओं के अंदर आता है और यह यह सीमा आमतौर पर ₹20 लाख है, लेकिन पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों जैसे असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, आदि और कुछ विशेष राज्यों में यह सीमा ₹10 लाख रखी गई है।
Q. क्या हमें TDS वापस मिलता है?
आपको आपका टीडीएस रिफंड तब मिलेगा जब टीडीएस में जमा किया गया आपका पैसा सालाना टैक्स से ज्यादा हो, मतलब आपका टीडीएस कटा है ₹5,000 और आपका सालाना टैक्स बनता है ₹4,000 तो आपको ₹1,000 वापस मिल जाएगा।
Q Form 26AS क्या होता है?
फॉर्म 26एएस टैक्स फाइलिंग के लिए एक जरूरी डॉक्यूमेंट है जो एक वित्तीय वर्ष के बीच में पैन कार्ड के अंदर लिया गया टीडीएस, टीसीएस, रिफंड और बाकी सभी लेनदेन का डिटेल को दिखाता है, यह आयकर विभाग द्वारा सब करदाताओ को दिया जाता हैं।
Q क्या क्लाइंट जीएसटी और टीडीएस दोनों काट सकता है?
नहीं क्लाइंट आपसे टीडीएस काटता है और आप क्लाइंट से जीएसटी चार्ज करते है।
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