रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) क्या है? जानें RCM क्यों और किसके लिए लाया गया है पूरी जानकारी

टैक्स और जीएसटी पर काम कर रहे है ऐसे लोगों के लिए रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) एक ऐसा नियम है जिसे समझना कई बार मुश्किल होता है, लेकिन आज इस पोस्ट से आप इस विषय को सरल भाषा में समझ जाएंगे।

जीएसटी की नियम में एक सप्लायर (माल या सेवा देने वाला) खरीदार से माल के कीमत के साथ जीएसटी इकट्ठा करता है और उसे सरकार के पास जमा करता है।

लेकिन इसी जीएसटी में एक अच्छा नियम है जिसे रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) कहते हैं, इस पोस्ट से आज आप समझेंगे कि आरसीएम क्या है? आरसीएम क्यों लाया गया? और यह सामान्य चार्ज नियम से कैसे अलग है।

रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) क्या है?

जीएसटी में आरसीएम एक ऐसी नियम है जहाँ पर टैक्स को जमा करने की जिम्मेदारी सप्लायर के बदले खरीदार की होती है।

कहने का मतलब सप्लायर खरीदार से जीएसटी नहीं लेता है, इसके बजाय उस खरीदार को खुद जीएसटी की गिनती करनी होती है और उसे सीधे सरकार के पास जमा करना होता है।

  1. सामान्य नियम: सप्लायर खरीदार से जीएसटी लेता है और सप्लायर जीएसटी जमा करता है।
  2. RCM नियम: सप्लायर से सामान खरीदार लेने के बाद खरीदार खुद उस जीएसटी को जमा करता है।

एक उदाहरण से समझे: मान लीजिए कि एक जीएसटी रजिस्टर्ड कंपनी किसी एक वकील से कानूनी सलाह लेती है, लेकिन वकील जीएसटी में रजिस्टर्ड नहीं है, इस मामले में कंपनी को वकील की फीस पर खुद जीएसटी की हिसाब करनी होती है और उसे सरकार के पास जीएसटी जमा करना होता है।

RCM को क्यों लाया गया है? (Why was RCM introduced?)

आरसीएम का उद्देश्य: जैसे सरकार यह देखता है कि जीएसटी सही से इकट्ठा हो रहा है, और भी आरसीएम को लाने के पीछे सरकार का कुछ खास कारण हैं अब आप इसे समझे,

  1. टैक्स चोरी रोकना: आरसीएम उन जगह पर टैक्स चोरी को रोकने में मदद करता है जहाँ छोटे या अनरजिस्टर्ड सप्लायर होते हैं।
  2. टैक्स कलेक्शन को आसान बनाना: सरकार के लिए लाखों छोटे सप्लायर्स को टैक्स में लाने के बदले कुछ बड़े रजिस्टर्ड खरीदारों से टैक्स इकट्ठा करना ज़्यादा आसान होता है।
  3. टैक्स बेस को बढ़ाना: आरसीएम के मदद से ऐसे लेन देन भी टैक्स के दायरे में आ जाते हैं जिन पर सामान्य टैक्स व्यवस्था में टैक्स नहीं लगता है।
  4. संगठित क्षेत्रों को जवाबदेह बनाना: यह बड़े रजिस्टर्ड व्यवसायों को टैक्स नियमों का पालन करने के लिए और उत्साहित करता है, क्योंकि टैक्स जमा करने की जिम्मेदारी उन्हीं पर होती है।

कुल मिलाकर बात यह है की छोटे सप्लायर्स को जीएसटी में रजिस्टर नहीं करना पड़ता, और खरीदारों को अपने पैसे का हिसाब टैक्स में जमा करने के समय आरसीएम के मदद से यह दिखाता है कि सच में उन्होंने पैसे को खर्च किया है, नहीं तो उनको उन पैसे का भी टैक्स देना पड़ता है।

जीएसटी में आरसीएम आपसे कोई खरीदार तभी ले सकता है जब वह खुद जीएसटी में रजिस्टर है और आपके जो पैसा वह दिया है उसपर टैक्स बन रहा है, साथ में वह लेन देन आरसीएम के अंदर आता हो।

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RCM किसके लिए है? (Who does RCM apply to?)

आरसीएम असल में जीएसटी रजिस्टर्ड खरीदारों पर लागू होता है, इसके अंदर कुछ खास प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स लगता है आईए जानते हैं:

RCM कब लागू होता है?

आरसीएम असल में रूप से दो जगह में लागू होता है:

अनरजिस्टर्ड सप्लायर से माल या सेवा खरीदना: अगर एक जीएसटी रजिस्टर्ड व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति से माल या सेवा खरीदता है जो जीएसटी में रजिस्टर्ड नहीं है, तब आरसीएम लागू होता है जो ऊपर मैने आपको बताया।

नोटिफाइड (अधिसूचित) वस्तुएं और सेवाएं: सरकार ने पहले से ही कुछ विशिष्ट वस्तुओं और सेवाओं की पहचान की है जिन पर आरसीएम के नियम लागू होता है।

कुछ खास प्रकार की सेवाएं जैसे:

  1. कानूनी सेवाएं (जैसे वकीलों की सेवाएं)
  2. गुड्स ट्रांसपोर्ट एजेंसी (GTA) की सेवाएं
  3. इंश्योरेंस एजेंट की सेवाएं
  4. सरकार द्वारा दी गई सेवाएं

कुछ खास प्रकार की वस्तुएं जैसे:

  1. काजू (cashew nuts) (बिना शेल वाले)
  2. तंबाकू के पत्ते
  3. सिल्क यार्न
  4. लॉटरी आदि।

यह कुछ वस्तुएं हैं जिन पर आरसीएम लागू होता है, भले ही सप्लायर रजिस्टर्ड हो या नहीं, इस मामले में प्राप्तकर्ता रजिस्टर्ड होना चाहिए।

RCM के कुछ उदाहरण

अब में आपको कुछ सेवाएं का उदाहरण से दिखा रहा हूं जिन पर सरकार ने आरसीएम लागू किया है, इसका मतलब है कि सेवा देने वाला (सप्लायर) जीएसटी चार्ज नहीं करेगा, उसके बदले सेवा लेने वाला (प्राप्तकर्ता) खुद जीएसटी सरकार को जमा करेगा।

उदाहरण कानूनी सेवाएं (Legal Services): जब कोई बिज़नेस करने वाला (जैसे एक कंपनी या फर्म) किसी वकील या लॉ फर्म से कानूनी सलाह या सहायता की सेवा लेती है, इस मामले में बिज़नेस करने वाले को वकील की फीस पर लागू जीएसटी खुद आरसीएम के नियम तहत सरकार को जमा करना होता है।

2. अनारजिस्टर्ड सप्लायर से खरीद (Purchase from Unregistered Supplier)

उदाहरण: कोई एक जीएसटी रजिस्टर्ड गारमेंट शोरूम किसी छोटे अनारजिस्टर्ड कारीगर से ₹20,000 के हाथ से बने शर्ट का बटन खरीदता है, तब कारीगर जीएसटी चार्ज नहीं करेगा, क्योंकि वह जीएसटी में रजिस्टर्ड नहीं है।इस मामले में खरीदार गारमेंट शोरूम वाले को इन बटनों पर लागू जीएसटी (मान लीजिए 12% तो होता है ₹2400) वह खुद सरकार को आरसीएम के तहत जमा करेगा, और बाद में इस ₹2400 का ITC क्लेम कर सकता है।

3. ई-कॉमर्स ऑपरेटर के माध्यम से सेवाएं (Services through E-commerce Operator)

उदाहरण: जब आप Ola या Uber से कैब बुक करते हैं तो ड्राइवर सेबा देने वाला जीएसटी का भुगतान नहीं करता, तब Ola या Uber जैसी ई-कॉमर्स कंपनी खुद जीएसटी जमा करता है, ड्राइवर को जीएसटी में पढ़ने को जरूरत नहीं होती।

ये कुछ आरसीएम के छोटे उदाहरण मैने आपको बताया हैं, हर मामले में आरसीएम की शर्तें और नियम अलग अलग हो सकते हैं, इसलिए हमेशा लेनदेन की कारण और सप्लायर या प्राप्तकर्ता की वर्तमान स्थिति को देखना जरूरी है।

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RCM के तहत जीएसटी जमा करने के नियम

आरसीएम जमा करने के कुछ नियम और खरीदार को कुछ फायदे भी होते है नहीं तो वह खुद इतना टेंशन क्यों लेगा आइए समझते है:

  1. इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC): आरसीएम के नाम से टैक्स को जमा करने वाला व्यक्ति बाद में उस टैक्स का आईटीसी का दावा कर सकता है, सिर्फ वह जीएसटी में रजिस्टर्ड हो और आईटीसी के नियमों को पूरा पालन करता हो।
  2. रिवर्स चार्ज की जानकारी: आईटीसी के अंदर होने वाले लेन देन की जानकारी GSTR-1 और GSTR-3B में देनी होती है।

मतलब जो पैसा खरीदार ने आरसीएम के नाम में जमा किया है वह बाद में उस पैसा का आईटीसी का क्लेम कर अपना कुल टैक्स को कम कर देता है।

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सामान्य चार्ज और रिवर्स चार्ज में मुख्य अंतर

अब में आपको एक छोटा सा टेबल बनाकर दोनों के बीच का अंतर स्पष्ट करके दिखाता हूं, ताकि आपको और अच्छे से जीएसटी में आरसीएम को समझने आए।

मापदंडसामान्य चार्ज मैकेनिज्मरिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM)
टैक्स भरने की जिम्मेदारीसप्लायर (Supplier)खरीदार (Recipient)
जीएसटी बिल मेंसप्लायर खुद जीएसटी जोड़ता हैसप्लायर जीएसटी नहीं जोड़ता है, बिल में “Reverse Charge” लिखा होता है।
मुख्य उद्देश्यटैक्स कलेक्शन करनाटैक्स चोरी रोकना और टैक्स बेस को बढ़ाना

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निष्कर्ष (Conclusion): जीएसटी में आरसीएम

आरसीएम जीएसटी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो टैक्स सिस्टम को अधिक मजबूत बनाता है, यदि आप एक जीएसटी रजिस्टर्ड व्यक्ति हैं, तो आपको यह जानना ज़रूरी है कि कौन से लेन देन आरसीएम के अंदर आता हैं ताकि आप सही समय पर टैक्स का भुगतान कर सकें।

एक बात आप समझ लीजिए: अगर कोई जीएसटी में रजिस्टर्ड सप्लायर व्यक्ति किसी सामान को किसी रजिस्टर्ड खरीदार को बेचता है तो सप्लायर ही जीएसटी लेता है, वहां पर आरसीएम (RCM) लागू नहीं होता।

कुल मिलाकर ऐसे टैक्स के सही जानकारी और समय पर टैक्स जमा करने पर आपको जुर्माने से बचा सकता है, जैसे जब आरसीएम लागू होता है तब सामान या सेवा प्राप्त करने वाला व्यक्ति मतलब (खरीदने वाला) खुद सेल्फ इनवॉइस जारी करता है।

में उम्मीद करता हू कि RCM क्या होता है? और इसके अंदर के सभी बात को आपने समझ लिया है, अपने दोस्त और सोशल मीडिया पर इस पोस्ट को शेयर कर उनको भी जानकारी लेने का मौका दे।

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